विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में होने वाले आगामी लोक सभा चुनाव मांग बढ़ने के कारण कई उद्योगों के लिए वरदान साबित होगा। डीलरों का कहना है कि वाहन उद्योग के लिए चुनावी मौसम दोधारी तलवार जैसा हो सकता है। जहां एक ओर दो पहिया वाहनों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है वहीं दूसरी ओर यात्री वाहन जैसी अन्य श्रेणियों में गिरावट आ सकती है।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) जैसे संगठनों ने हाल ही में राज्यों में हुए विधान सभा चुनाव और साल 2019 में हुए आम चुनाव के रुझानों के बारे में बताया। फाडा के आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 में अप्रैल और मई महीने में आम चुनाव हुए थे। इन दो महीनों के दौरान वाहनों की खुदरा बिक्री में एक साल पहले की तुलना में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।
एक महीने पहले की तुलना में भी अप्रैल 2019 में वाहनों की बिक्री में 4 फीसदी की गिरावट आई थी, हालांकि अगले महीने यानी मई 2019 में 5 फीसदी बढ़ा था। उल्लेखनीय है कि उद्योग के एक सूत्र से मिले यात्री वाहनों का साल 1992 से वार्षिक आंकड़ा दर्शाता है कि यह चिंता गलत भी हो सकती है।
यह पूछे जाने पर कि आगामी चुनावों का आने वाले दो महीनों में ह्युंडै की बिक्री पर क्या असर पड़ेगा, कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी तरुण गर्ग ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि चुनावों का कारों की बिक्री पर कोई सीधा असर पड़ेगा। मगर यदि आप इतिहास देखें तो साल 2019 में चुनाव के दौरान उद्योग ने बिक्री में 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की थी। इस तरह साल 2014 में भी दो फीसदी की गिरावट आई थी। मुझे नहीं लगता है कि ये गिरावट चुनाव के कारण थी। उस वक्त यानी साल 2014 और 2019 में वैश्विक मंदी थी।’
फाडा के अनुसार, दोपहिया श्रेणी को छोड़कर लोक सभा चुनाव खेल बिगाड़ सकते हैं क्योंकि इससे खरीदारी में देरी हो सकती है। फाडा के प्रेसिडेंट मनीष राज सिंघानिया ने कहा, ‘चुनाव के दौरान नकदी ले जाने पर प्रतिबंध रहता है इसलिए लोग नकद लेनदेन से गुरेज करत हैं। लोग वाहन खरीदने के लिए 2 लाख रुपये तक खर्च कर सकते हैं मगर वे इसको लेकर आशंकित रहते हैं।
हाल ही में संपन्न हुए राज्यों के चुनाव के दौरान हमने देखा कि अधिकारियों द्वारा गहन निगारीन से यात्री वाहनों की बिक्री में कुछ वक्त के लिए गिरावट आई, लेकिन चुनाव के फौरन बाद इसमें तेजी आने लगी।’ उन्होंने कहा कि चुनावी फंड से दोपहिया वाहनों की बिक्री को बल मिलता रहेगा क्योंकि इनकी कीमत कम रहती है।
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पिछले साल 7 से 30 नवंबर तक हुए विधान सभा चुनाव का ही मामला लें। छत्तीसगढ़ में अक्टूबर 2023 की तुलना में नवंबर में कुल बिक्री में 76 फीसदी का इजाफा हुआ। इसमें दो पहिया वाहनों की हिस्सेदारी 98 फीसदी थी।
वहीं, इसी अवधि के दौरान मध्य प्रदेश में बिक्री में 85 फीसदी वृद्धि हुई, जिसमें दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी बढ़कर 105 फीसदी हो गई। राजस्थान के मामले में भी दोपहिया वाहनों की बिक्री 60 फीसदी से बढ़कर 85 फीसदी हो गई। इन सभी राज्यों में नवंबर में कुल बिक्री में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 80-85 फीसदी रही। तेलंगाना के आंकड़े वाहन पोर्टल पर नहीं था।