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भारत सरकार ने देश में यात्री इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Passenger Vehicles) के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक दूरदर्शी और ऐतिहासिक योजना को मंजूरी दी है। “इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार विनिर्माण को प्रोत्साहन योजना” (Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars in India – SPMEPCI) का उद्देश्य भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों के वैश्विक उत्पादन केंद्र (Global EV Manufacturing Hub) के रूप में स्थापित करना है।
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यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2070 तक नेट ज़ीरो लक्ष्य (Net Zero by 2070) को ध्यान में रखते हुए हरित गतिशीलता (Green Mobility) और आर्थिक विकास (Economic Growth) को सशक्त बनाने के लिए लाई गई है।
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पैरामीटर | न्यूनतम आवश्यकता |
वैश्विक ऑटोमोबाइल कारोबार (Global Automotive Revenue) | ₹10,000 करोड़ |
वैश्विक निवेश (Global Investment in Fixed Assets) | ₹3,000 करोड़ |
इस मौके पर केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह योजना न केवल वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करेगी, बल्कि घरेलू निर्माण और नवाचार को भी बढ़ावा देगी। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को मजबूती देगी और भारत को हरित गतिशीलता क्रांति में अग्रणी बनाएगी।”
Tesla नहीं बनाएगी भारत में अपनी EVs
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने कहा कि टेस्ला निकट भविष्य में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करने की योजना में नहीं है, जैसा कि ANI ने रिपोर्ट किया है। हालांकि टेस्ला भारतीय बाजार में अपनी गाड़ियों की लॉन्चिंग की तैयारी कर रही है, लेकिन स्थानीय निर्माण फिलहाल उसकी योजनाओं में शामिल नहीं है।
हालाँकि कंपनी ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में एक शोरूम स्पेस फाइनल कर लिया है और भारत में स्टोर मैनेजर और सर्विस स्टाफ सहित दो दर्जन से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति भी की है, फिर भी वह अभी स्थानीय विनिर्माण पर विचार नहीं कर रही है।
टेस्ला ने भारत में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के लिए प्रमाणीकरण और होमोलोगेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और ऐसा माना जा रहा है कि कंपनी अगले दो से तीन महीनों में अपना पहला वाहन बाजार में उतार सकती है।
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