सैम की कंपनी को सरकार की ना

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 4:39 PM IST


सैम पित्रोदा की दूरसंचार कपंनी वावसी टेलिजेंस की मांग पूरी करने का दूरसंचार विभाग का कोई इरादा नहीं दिख रहा है। कंपनी ने देशभर में मोबाइल सेवाएं शुरू करने के लिए उस रेडियो फ्रीक्वेंसी के आवंटन की मांग की थी

, जिसका फिलहाल इस्तेमाल नहीं हो रहा है।


 


 लेकिन दूरसंचार विभाग अभी इसके लिए राजी नहीं हुआ हैद्ध दूरसंचार विभाग अभी इस पर सहमति नहीं बना पाया है। विभाग के मुताबिक इस वायरलेस तकनीक के लिए अभी कोई अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी निर्देशिका ही तैयार नहीं की गई है।


 


विभाग इसके बजाय वावसी टेलिजेंस को

400 मेगाहट्र्ज से 430 मेगाहट्र्ज के दायरे में स्पेक्ट्रम देने का विचार कर रहा है। इस दायरे में आने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल देश में मोबाइल सेवा प्रदान करने में नहीं किया जा रहा है। लेकिन इसमें भी अभी कई पेच हैं।

 


सरकार ही इस बारे में आखिरी फैसला करेगी। लेकिन उससे पहले दूरसंचार मंत्रालय के लिए वायरलेस सेवाओं की योजना तैयार करने और उनका समन्वय करने वाला विभाग राष्ट्रीय रेडियो नियामक प्राधिकरण मामले की पड़ताल करेगा।


 


पित्रोदा की कंपनी को मोबाइल सेवाएं मुहैया कराने के लिए अब तक सरकार की ओर से लाइसेंस नहीं मिला है

, लेकिन वह इसकी तैयारियों में जुट गई है। इसी वजह से कंपनी ने दूरसंचार विभाग से अनुरोध किया है कि उसकी मांग पर अलग से विचार किया जाए।

 


भारत में मोबाइल सेवा के लगातार बढ़ते बाजार में हाथ भांजने के लिए 46 दूसरी कंपनियों ने भी लाइसेंस के लिए अर्जी लगा रखी है। अभी तक दूरसंचार विभाग ने सिर्फ 10 लाइसेंस जारी किए हैं और बाकी आवेदनों पर बाद में विचार करने की बात कही है।


 


वावसी ने अपनी सहायक कंपनी नेक्स्ट जेनरेशन टेलीकॉम लिमिटेड

(एनजीटीएल) के माध्यम से मोबाइल सेवाएं देने के लिए लाइसेंस की मांग की थी। कंपनी ने सेवाएं देने के लिए 1,785 से 1,805 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम बैंड की गुजारिश की है।

 


इन रेडियो फ्रीक्वेंसी में एक खासियत है। इनमें ऐसी व्यवस्था है, जिसके कारण दो नेटवर्कों के सिग्नल न तो आपस में मिलते हैं और न ही एक दूसरे की तरंगों के रास्ते में आते हैं। इसको सड़क के बीच बने डिवाइडर की तरह माना जा सकता है, जिसके दोनों ओर जबर्दस्त ट्रैफिक चलता रहता है। लेकिन डिवाइडर की वजह से ट्रैफिक एक दूसरे से किसी भी हालत में टकराता नहीं है।


 


एनजीटीएल को उ

मीद है कि उसे जल्द ही स्पेक्ट्रम मुहैया करा दिया जाएगा। उसे अपने पसंदीदा स्पेक्ट्रम की ही उमीद है। उसे यकीन है कि जीएसएम और सीडीएमए ऑपरेटरों की स्पेक्ट्रम की लड़ाई में उसका कारोबारी गणित नहीं बिगड़ेगा। एनजीटीएल ने दावा किया है कि चीन (80 लाख उपभोक्ता) और मंगोलिया (50 हजार उपभोक्ता) में इस तकनीक पर व्यावसायिक नेटवर्क चल रहे हैं। हालांकि दूरसंचार विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस स्पेक्ट्रम बैंड में दुनियाभर में कहीं कोई नेटवर्क काम नहीं कर रहा है।
First Published : March 18, 2008 | 12:49 AM IST