कोविड-19 महामारी के बीच एफएमसीजी कंपनियों को एक बार फिर से बिक्री और मुनाफा वृद्घि पर अपना ध्यान बढ़ाने पर जोर दिया है, जो व्यवसाय को सामान्य बनाने की राह के लिए चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। इसकी वजह एफएमीसजी उद्योग का स्वरूप है।
अक्सर, जब कंपनियां बिक्री वृद्घि पर जोर देती हैं तो उनका मार्जिन प्रभावित होता है, क्योंकि उत्पाद मिश्रण ऐसे उत्पादों की ओर केंद्रित होता है जिन्हें मार्जिन वृद्घि वाला नहीं समझा जाता है। इसी तरह से, हाई-वैल्यू या प्रीमियम उत्पादों को मार्जिन वृद्घि वाला समझा जाता है, लेकिन ये उत्पाद लोगों के छोटे आधार तक सीमित है जिससे बिक्री वृद्घि प्रभावित हो रही है।
हालांकि महामारी के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा वैल्यू और भरोसे पर जोर दिए जाने से संगठित एफएमसीजी कंपनियों को मदद मिल रही है। ब्रोकरेज फर्म शेयरखान के सहायक उपाध्यक्ष (शोध) कौस्तुभ पावस्कर का मानना है कि स्वास्थ्य संकट ने कंपनियों का ध्यान वृद्घि के नए क्षेत्रों पर केंद्रित किया है, जिससे उनके राजस्व में इजाफा हो रहा है। उनका कहना है, ‘कोविड से पहले, स्वच्छता और प्रतिरोधक क्षमता कंपनियों के लिए वृद्घि के मुख्य विकल्प नहीं थे, लेकिन अब ये वृद्घि के मुख्य स्रोत बन गए हैं। इससे एफएमसीजी कंपनियों को राजस्व के संदर्भ में मदद मिली है। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में बिक्री बढ़ी है जिससे वृद्घि को मदद मिल रही है।’
बाजार शोध एजेंसी नीलसन के अनुसार, छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों ने जून से ही एफएमसीजी में सुधार को बढ़ावा दिया है और यह रुझान कम से कम अगली दो तिमाहियों तक बरकरार रहने की संभावना है।
मार्जिन के नजरिये से, आक्रामक लागत बचत से कई कंपनियों को मदद मिली है और यही वजह है कि कई कंपनियों ने संकट से मुकाबले के दौरान यह रणनीति अस्थायी समाधान के बजाय स्थायी तौर पर अपनाने की योजना बनाई है।
मैरिको के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी सौगत गुप्ता ने कहा, ‘कई कंपनियों ने लागत पर खास ध्यान दिया है। उदाहरण के लिए, हम सालाना आधार पर 150 करोड़ रुपये की ढांचागत बचत की संभावना तलाश रहे हैं और इसके लिए हम हर साल स्थायी तौर पर इन बचत उपायों को अपनाएंगे।’
डाबर के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा का कहना है कि कंपनी ने ‘प्रोजेक्ट समृद्घि’ के तहत लागत बचत कार्यक्रम शुरू किया है जिसमें लागत को अनुकूल बनाए जाने और सभी कार्यों में दक्षता बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
मल्होत्रा ने कहा, ‘हमने 50 करोड़ रुपये की लागत बचत चिह्नित की है जो हम समृद्घि कार्यक्रम के तहत हासिल कर सकते हैं। हालांकि इस वित्त वर्ष में हम 50 करोड़ रुपये की लागत बचत करेंगे जिसे आगे बढ़ाया जाएगा।’
कंपनियां ग्रामीण वितरण में बड़ा सुधार ला रही हैं और वे अब सभी ब्रांडों में छोटे पैक पर जोर दे रही हैं और हरसंभव तौर पर अपने उत्पादों की पहुंच सुधारने पर ध्यान दे रही हैं।
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा, ‘हम अपने उत्पादों की पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।’
ब्रिटानिया ने ऐसी रणनीति अपनाई है जिसमें उसने मैरी गोल्ड, गुड डे और मिल्क बिकीज जैसे अपने प्रमुख ब्रांडों को 5 रुपये की कीमत में उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया है। उदाहरण के लिए कंपनी ने 5 रुपये में लेयर्ड केक पेश किया है और 5 रुपये में ट्रीट बस्टर्स बिस्कुट की पेशकश की है।
एक ताजा निवेशक वार्ता में, नेस्ले इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने कहा कि कंपनी पहुंच बढ़ाकर बिक्री बढ़ाने पर जोर देगी। हालांकि वह ऐसे उत्पादों की बिक्री पर जोर नहीं देगी जो उसके परिचालन मार्जिन में योगदान नहीं देते हैं।
