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पहले लाभ, फिर पीई का साथ: लीड ग्रुप

मेहता ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘हम अपना मुनाफा बढ़ाने पर लगातार ध्यान दे रहे हैं और 25 प्रतिशत का एबिटा मार्जिन हासिल करना चाहते हैं।’

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देव चटर्जी   
Last Updated- October 28, 2024 | 9:43 PM IST

एडटेक यूनिकॉर्न लीड ग्रुप के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी सुमीत मेहता का कहना है कि शिक्षा पर खर्च बढ़ने के कारण उनकी कंपनी चालू वित्त वर्ष के अंत मार्च 2025 तक एबिटा के लिहाज से लाभ में आ सकती है। मेहता ने संकेत दिया कि कंपनी एक बार नियमित लाभ हासिल करने लगे तो वह अतिरिक्त फंडिंग पर ध्यान दे सकती है।

मेहता ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘हम अपना मुनाफा बढ़ाने पर लगातार ध्यान दे रहे हैं और 25 प्रतिशत का एबिटा मार्जिन हासिल करना चाहते हैं।’

उद्यम पूंजी फर्म वेस्टब्रिज कैपिटल और जीएसवी वेंचर्स से 10 करोड़ डॉलर निवेश के बाद चालू वित्त वर्ष कंपनी का पहला लाभदायक वर्ष होगा। इन वेंचर कैपिटल फर्मों ने 2022 में कंपनी का मूल्यांकन 1.1 अरब डॉलर से अधिक किया था।
एडटेक फर्म बैजूस के हालिया पतन पर (जिसका मूल्यांकन तीन वर्षों में 22 अरब डॉलर से घटकर शून्य हो गया) मेहता ने निवेशकों के जेहन पर महामारी का असर बताया।

उन्होंने कहा, ‘कोविड महामारी के दौरान मुख्य जोर ऑनलाइन शिक्षा और बी2सी अवसरों पर था। पीछे मुड़ कर देखें तो पता चलता है कि यह एक थोड़े समय का रुझान था। महामारी के बाद कई एडटेक के वैल्यूएशन गिर गए क्योंकि कारोबार फिर से सामान्य होने लगे। दुर्भाग्यवश, इस कारण कुछ निवेशकों ने इस क्षेत्र में इसे सामान्य मान लिया और तब तक निवेश करने से कतराते रहे जब तक कि उन घाटों की यादें न मिट जाएं। हालांकि, हम ऐसे निवेशकों के साथ जुड़ रहे हैं जो विभिन्न एडटेक मॉडलों के बीच अंतर कर सकें।’

मेहता और स्मिता देवरा द्वारा वर्ष 2012 में स्थापित लीड ग्रुप का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप प्रौद्योगिकी के साथ एक बेहतर शोध वाला पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति को एकीकृत करके भारत में स्कूली शिक्षा में मदद करना है।

मेहता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में इस समय निजी स्कूलों में लगभग 12 करोड़ छात्र नामांकित हैं जिसके वर्ष 2030 तक 20 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। वर्तमान मेंअभिभावक के-से 12 वीं कक्षा तक की शिक्षा पर हर साल प्रति छात्र 18,000 से 20,000 रुपये खर्च करते हैं। इस तरह यह खर्च लगभग 2.15 लाख करोड़ रुपये बैठता है। यह आंकड़ा 2030 तक लगभग 5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ जाने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘हमारा लक्ष्य सीखने के परिणामों में सुधार लाने के लिए इस खर्च को 10-12 प्रतिशत तक बढ़ाना है। कई अभिभावकों का खर्च कारगर शिक्षा में परिवर्तित नहीं हो रहा है। रिपोर्ट बताती है कि भारतीय छात्रों को अक्सर रोजगार पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। हमें इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि निवेश से बेहतर शैक्षिक परिणाम प्राप्त हों और यही वह चुनौती है जिसका हम समाधान करना चाहते हैं।’

First Published : October 28, 2024 | 9:43 PM IST