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आईटी कंपनियों का अधिग्रहण पर जोर

Last Updated- December 14, 2022 | 11:25 PM IST

देश की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा कंपनियां अपने डिजिटल, क्लाउड और स्वास्थ्य सेवा कारोबार को मजबूती देने के लिए अपने बहीखाते पर उपलब्ध नकदी का उपयोग कर रही हैं। इन कारोबार के बल पर कंपनी को कोविड वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई मंदी से उबरने में मदद मिली है।
विशेषज्ञों के अनुसार, कई लक्षित कंपनियां आकर्षक मूल्य पर उपलब्ध हैं लेकिन आईटी सेवा कंपनियों की नजर विलय-अधिग्रहण के जरिये नए बाजारों में अपनी मौजूदी बढ़ाने पर भी है। सितंबर तिमाही में इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक्नोलॉजिज सहित शीर्ष भारतीय आईटी सेवा कंपनियों ने कई अधिग्रहण किए हैं। इसमें अमेरिकी की आईटी सेवा कंपनी कॉग्निजेंट का उल्लेख तकनीकी रूप से नहीं किया गया है। पिछले सप्ताह, एचसीएल टेक्नोलॉजिज ने 11.58 करोड़ डॉलर के एक सौदे के तहत ऑस्ट्रेलिया की आईटी सेवा कंपनी डीडब्ल्यूएस के अधिग्रहण की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य विशेष तौर पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में नोएडा की इस कंपनी के डिजिटल सेवा कारोबार में विस्तार करना था।
इसी प्रकार इन्फोसिस ने इस महीने के आरंभ में करीब 4.2 करोड़ डॉलर के एक सौदे के तहत उत्पाद डिजाइन एवं विकास फर्म केलीडोस्कोप के अधिग्रहण की घोषणा की थी। इसके साथ ही कंपनी अपने इंजीनियरिंग सेवा पोर्टफोलियो में विस्तार और अमेरिका के चिकित्सा उपकरण, उपभोक्ता एवं औद्योगिक बाजारों में अपनी स्थिति को सुदृढ़ करना चाहती है। विप्रो ने जुलाई में कुल करीब 10 करोड़ डॉलर में दो कंपनियों के अधिग्रहण की घोषणा की थी। इनमें ब्राजील की आईटी सेवा कंपनी आईवीआईए सर्विकोस डे इन्फॉर्मेटिका और सेल्सफोर्स मल्टीक्लाउड पार्टनर फर्म 4सी शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि आईटी कंपनियां अब अपनी एक नई रणनीति के तहत विलय-अधिग्रहण के जरिये भौगोलिक विस्तार और वृद्धि को रफ्तार देने की कोशिश कर रही हैं। पारीख कंसल्टिंग के संस्थापक एवं आउटसोर्सिंग सलाहकार पारीख जैन ने कहा, ‘आईटी कंपनियों ने हाल के दिनों में विलय-अधिग्रहण के जरिये वृद्धि को रफ्तार देने की रणनीति पर अमल नहीं किया था बल्कि वे खुद अपने कारोबार के विस्तार के जरिये वृद्धि को सहारा दे रही थीं। अब तक के अधिकतर अधिग्रहण क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था।’ उन्होंने कहा, ‘वे अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा नए बाजारों की भी तलाश कर रही थीं। ये कंपनियां स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल और दूरसंचार में अपनी पेशकश बढ़ा रही हैं क्योंकि ये क्षेत्र वैश्विक महामारी के बावजूद तेजी से वृद्धि कर रहे हैं।’ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि कंपनियां अब विरासत कारोबार पर अधिक दांव नहीं लगाना चाहती हैं क्योंकि उसमें मांग लगातार घट रही है।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज के आईटी विश्लेषक ओंकार टंकसाले ने कहा, ‘नए कारोबारी मॉडल उभर रहे हैं। अधिकतर ग्राहक क्लाउड और डिजिटल बदलाव वाले सौदे कर रहे हैं जिनका कुल कारोबार में अब करीब 40 से 45 फीसदी हिस्सेदारी है।’

First Published - September 30, 2020 | 11:48 PM IST

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