वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान देश के प्रत्यक्ष कर संग्रह में 16,000 करोड़ रुपये की कमी हुई है।
कर अधिकारियों के मुताबिक, 31 मार्च 2009 तक देश भर में 3.29 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर संग्रह किया गया, जबकि संशोधित लक्ष्य 3.45 लाख करोड़ रुपये का था। संशोधन से पहले आयकर विभाग ने 3.65 लाख करोड़ रुपये की कर वसूली का लक्ष्य रखा था।
कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में अकेले 35-40 फीसदी का योगदान करने वाले मुंबई में हुई कम वसूली को इस गिरावट की मुख्य वजह बताई जा रही है। मालमू हो कि आर्थिक मंदी के चलते कॉरपोरेट कर संग्रह में कमी होने से 1.5 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर संग्रह का बजटीय लक्ष्य घटाकर 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था।
लेकिन 31 मार्च 2009 तक के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि मुंबई डिवीजन में संशोधित लक्ष्य से भी 20 हजार करोड़ रुपये कम यानी 1.15 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई। दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान कर का संग्रह अच्छा नहीं रहा। सूत्रों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को छोड़ दें तो दूसरे क्षेत्रों जैसे निर्माण, हॉस्पिटैलिटी आदि के योगदान में भारी गिरावट हुई।
आयकर विभाग ने हालांकि कर संग्रह बढ़ाने के लिए तमाम खोजबीन की लेकिन अधिकारियों की कोशिशों और उनकी पकड़ पर उसकी नजर नहीं गई।” विभाग की शिकायत है कि दो बड़े बैंकों भारतीय स्टेट बैंक और हांगकांग ऐंड शंघाई बैंक (एचएसबीसी) ने उसे कर संग्रह में सहयोग नहीं किया।
