वैश्विक मंदी से प्रभावित सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को दिसंबर और जनवरी में केंद्र सरकार द्वारा घोषित किए गए दो वित्तीय राहत पैकेजों से मदद मिलेगी।
अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए इन राहत पैकेजों में उत्पाद शुल्क में कटौती और सभी क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन शामिल हैं।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक केंद्रीय मूल्यवर्धित कर (सेनवैट) में 4 फीसदी तक की कटौती, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा छोटे उद्योगों के लिए ब्याज दर में 0.5 फीसदी और कुटीर उद्यमों के लिए 1 फीसदी की कटौती, निर्यात के लिए प्रोत्साहन और ऋण गारंटी योजना के तहत लॉक इन पीरियड को 24 महीने से घटा कर 18 महीने किए जाने से एमएसएमई की वित्तीय हालत में सुधार आएगा।
पहले राहत पैकेज में की गई पहलों, जैसे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रेपो, रिवर्स रेपो और नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में की गई कमी और ऋण गारंटी को 50 लाख से बढ़ा कर 1 करोड़ रुपया किए जाने से एमएसएमई के लिए नकदी जुटाने में आसानी होगी।
इसी तरह दूसरे राहत पैकेज में उठाए गए कदमों से लघु एवं मझोले उद्यमों को ऋण जुटाने में बड़ी मदद मिलेगी। दूसरे राहत पैकेज में जो कदम उठाए गए हैं, उनमें नवंबर, 2008 से पहले लागू डयूटी एंटाइटलमेंट पास बुक डीईपीबी दरों को 31 दिसंबर, 2009 तक बहाल करना, साइकिल, कृषि आधारित हैंड टूल, और धागे की कुछ विशेष श्रेणियों जैसे कुछ खास उत्पादों के लिए शुल्क वापसी लाभ 1 सितंबर, 2008 से प्रभावी होगा।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में सरकार और आरबीआई द्वारा घोषित की गई पहलों की श्रृंखला का असर देखा गया है।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट के बीच अतिरिक्त नकदी के साथ एमएसएमई की मदद पहुंचाए जाने की योजना है।
