भारत सरकार के साथ पूर्वप्रभावी कर को लेकर विवाद में रही केयर्न पीएलजी पिछले सप्ताह वोडाफोन मध्यस्थता फैसले के बाद सतर्क हो गई है। यदि सुनवाई नहीं होती तो वोडाफोन संबंधित फैसले से उसके मामले पर असर पड़ सकता था।
ब्रिटेन स्थित कंपनी अपने स्वयं के मध्यस्थता फैसले का इंतजार कर रही है, जिसके लिए निर्णायक सुनवाई वर्ष 2018 में संपन्न हुई। हालांकि कर विश्लेषकों का दावा है कि आयकर विभाग ने वोडाफोन और केयर्न मामलों को अलग अलग समझा है, क्योंकि केयर्न की कर जांच ब्रिटिश दूरसंचार कंपनी के मामले के विपरीत आंतरिक स्वामित्व पुनर्गठन से संबंधित थी।
हालांकि केयर्न के प्रवक्ता ने वोडाफोन निर्णय का उसके मामले पर असर पडऩे को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
वेदांत में केयर्न पीएलसी शेयरधारिता को प्रतिबंधित कर चुकी दिल्ली आयकर शाखा अब इसकी बीएसई से सूचीबद्घता समाप्त कराए जाने की राज पर बढ़ रही है। अमेरिकी कंपनी की वेदांत में मूल रूप से करीब 5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जो मार्च 2020 तक शेयर बिक्री के जरिये घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई।
वेदांत में केयर्न पीएलसी की शेयरधारिता अनिल अग्रवाल प्रवर्तित कंपनी के साथ केयर्न इंडिया के विलय से संबंधित है। इसने शुरू में 2011 में अपनी भारतीय सहायक इकाई केयर्न इंडिया की बिक्री वेदांत को की थी। ब्रिटिश कंपनी ने सरकार के स्वामित्व वाली ओएनजीसी के साथ भागीदारी में राजस्थान में बाड़मेर क्षेत्र से कच्चे तेल के उत्पादन की शुरुआत की थी और 2007 में अपने भारतीय व्यवसाय को अलग से सूचीबद्घ करया था।
प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘मौजूदा संधि के तहत केयर्न के दावो को ध्यान में रखते हुए निर्णायिक निर्णय की प्रक्रिया जारी है। मध्यस्थता न्यायाधिकरण द्वारा 2020 की गर्मी के समाप्त होने के बाद फैसला सुनाए जाने की संभावना है।’
हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई संभावित तारीख नहीं बताई। शुरू में एक नियामकीय आवेदन में, ब्रिटिश कंपनी ने कहा कि उसे भरोसा था कि समूह मध्यस्थता में सफल रहेगा और इसलिए भारतीय आयकर विभाग द्वारा मांगी गई राशि के लिए 2019 के वित्तीय विवरण में इसका कोई प्रावधान नहीं किया या था। जनवरी, 2014 में, केयर्न एनर्जी पीएलसी की सहायक इकाई सीयूएचएल को भारतीय कर विभाग की ओर से सूचना मिली थी कि उसे केयर्न इंडिया में ऐसे समय में अपनी शेयरधारिता बेचने से प्रतिबंधित कर दिया गया जब शेयरधारिता करीब 10 प्रतिशत थी और बाजार मूल्यांकन करीब 6,000 करोड़ रुपये। उस सूचना में, विभाग ने कहा था कि उसने 2007 में केयर्न इंडिया के आईपीओ को आसान बनाने के लिए 2006 में कुछ खास अंतर-समूह शेयर स्थानांतरण के परिणामस्वरूप हुई गैर-लेखा कर योग्य आय की पहचान की।
