पिछले कुछ दिनों से लद्दाख में भारतीय तथा चीनी सैनिकों के बीच चल रहे गतिरोध के बाद सोशल मीडिया पर हैशटैग बायकॉटचाइनीज प्रोडक्ट शीर्ष पर ट्रेंड कर रहा है और अगर लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे चीनी ब्रांड स्मार्टफोन एवं टीवी को कुचलने तथा तोडऩे के वीडियो को संकेतक के तौर पर देखा जाए तो चीन को लेकर विरोध की भावनाएं काफी तेज हो गई हैं, जिसके चलते इस समय ब्रांडों के पास बैठने और इस पर ध्यान देने का ही विकल्प मौजूद है।
मोबाइल उद्योग के सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि चीन विरोधी भावनाएं बढऩे के कारण श्याओमी, वीवो, रीयलमी तथा वन प्लस जैसे स्मार्टफोन निर्माता सभी अपने आगामी लॉन्च को धीमा करने की योजना बना रहे हैं।
जानकार ने बताया, इसका अर्थ है कि इन कंपनियों द्वारा अगले दो महीनों में 18 फोन लॉन्च की योजनाएं प्रभावित होंगी जिससे बिक्री पर भी असर पड़ेगा। आमतौर पर, कंपनियां टेलीविजन तथा सोशल मीडिया पर जोर देने के साथ प्रचार की संपूर्ण रणनीति पर काम करती हैं। मीडिया उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि वीवो, वन प्लस तथा श्याओमी का विज्ञापन अभियान फिलहाल चल रहा है और अगले छह महीनों में मार्केटिंग एवं प्रचार गतिविधियों पर लगभग 1,000 करोड़ रुपये खर्च होने की योजना है। अब कहा जा रहा है कि कंपनियां लॉन्च में देरी करने पर विचार कर रही हैं जिससे यह राशि भी कम हो जाएगी। पिछले साल, स्मार्टफोन कंपनियों ने विपणन तथा विज्ञापन-संबंधी गतिविधियों पर लगभग 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए थे। हालांकि मामले की संवेदनशीलता के चलते उपरोक्त वर्णित कंपनियों ने संपर्क करने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि सलाहकार फर्म टेकआर्क के संस्थापक तथा मुख्य विश्लेषक फैसल कावोसा ने कहा कि कंपनियों को नकारात्मक प्रचार की चिंता है और अगर टेलीविजन और सोशल मीडिया पर इसे बढ़ाया गया तो उनके फोन लॉन्च प्रभावित हो सकते हैं। बुधवार को, ओप्पो ने वर्चुअल तौर पर किए जाने वाले फोन लॉन्च की लाइव लिंक को निष्क्रिय कर दिया था और वहां एक वीडियो संदेश जारी किया गया। हालांकि कंपनी के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह एक तकनीकी गड़बड़ से ज्यादा कुछ नहीं था लेकिन ब्रांड एवं तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा माहौल में कंपनियां सतर्कता बरत रही हैं।
कावोसा कहते हैं, ‘अभी भावनाएं उच्च स्तर पर हैं और कंपनियों का मानना है कि उनके लिए अपने लॉन्च को टालना एक सुरक्षित उपाय है। मेरे हिसाब से यह कुछ समय तक जारी रहेगा, जब तक कि भू-राजनीतिक मामले हल नहीं होते।’
पिछले कुछ वर्षों में, चीनी कंपनियां की भारत के स्मार्टफोन बाजार में लगभग 80 फीसदी हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर रही है। भारत में करीब 50 करोड़ स्मार्टफोन हैं जिनका कुल कारोबार लगभग 47 करोड़ रुपये का है। काउंटरप्वाइंट रिसर्च के जनवरी-मार्च की अवधि के आंकड़ों के अनुसार, भारत के शीर्ष पांच स्मार्टफोन ब्रांडों में से चार चीनी फोन निर्माता हैं। इसमें श्याओमी, वीवो, रीयलमी तथा ओप्पो शामिल हैं, जिनकी कुल बाजार हिस्सेदारी क्रमश: 30 फीसदी, 17 फीसदी, 14 फीसदी और 12 फीसदी हैं। एजेंसी के आंकड़ों से पता चलता है कि केवल सैमसंग 16 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ गैर-चीनी ब्रांड के रूप में इस सूची में शामिल है। शेष 11 फीसदी हिस्सेदारी में बाकी के ब्रांड आते हैं। भारत के स्मार्टफोन बाजार पर चीनी कंपनियों की इस पकड़ ने व्यापारियों के शीर्ष संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) को चीनी कंपनियों का विरोध करने के अभियान को तेज करने के लिए प्रेरित किया है।
