भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के लिए बोली इस संकेत के बीच सोमवार को बंद होगी कि दिग्गज कंपनियां ब्रिटेन की बीपी पीएलसी, फ्रांस की टोटाल और सऊदी अरब की अरामको शायद ही बोली लगाएगी।
देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी व विपणन कंपनी में अपना पूरा 52.77 फीसदी हिस्सा बेच रही सरकार ने प्राथमिक अभिरुचि पत्र जमा कराने के लिए चार बार तारीख आगे बढ़ाई है। मौजूदा समयसीमा 16 नवंबर को खत्म हो रही है।
निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत ने पिछले महीने कहा था कि अब समयसीमा को और आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। उद्योग के सूत्रों ने कहा कि बीपी और टोटाल शायद ही इस हिस्सेदारी के लिए बोली लगाएगी और खबर है कि रूस की दिग्गज रोसनेफ्ट या उसकी सहायक और सऊदी की अरामको बोली की इच्छुक नहीं है क्योंकि फर्म को खरीदने के लिए 10 अरब डॉलर की दरकार ऐसे समय में होगी जब पूरी दुनिया पारंपरिक र्ईंधन से दूर हट रही है।
साथ ही, महामारी ने पारंपरिक र्ईंधन की मांग पर असर डाला है और स्वच्छ र्ईंधन हाइड्रोजन व बैटरी परिचालित इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढऩे की राह तेज कर सकता है। मांग के अनिश्चित परिदृश्श्य को देखते हुए निवेशक इस पर विचार कर रहे हैं कि क्या बीपीसीएल के अधिग्रहण का मतलब बनता है।
शुक्रवार को बीएसई पर बंद भाव 412.70 रुपये के हिसाब से सरकार की बीपीसीएल की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी की कीमत 47,430 करोड़ रुपये बैठती है। साथ ही अधिग्रहण करने वालों को बाकी 26 फीसदी सार्वजनिक हिस्सेदारी खरीदने के लिए खुली पेशकश लाना होगा, जिसकी लागत 23,276 करोड़ रुपये बैठेगी।
सूत्रों ने कहा कि बीपीसीएल सालाना करीब 8,000 करोड़ रुपये मुनाफा कमाती है और इस रफ्तार से निवेशकों को बोली की रकम करीब 70,000 करोड़ रुपये रिकवर करने में 8 से 9 साल लग जाएंगे।
इस अधिग्रहण का मतलब उनके लिए बनता है जो कारोबार और परिचालन दक्षता आदि के जरिये कारोबार में इजाफा कर आधे समय में मुनाफा दोगुना कर दे। अरबपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (जो गुजरात के जामनगर में रिफाइनिंग कॉम्पलैक्स का परिचालन करती है और यह दुनिया का सबसे बड़ा एकल तेल रिफाइनिंग कॉम्पलैक्स है) ऐसी कंपनी हो सकती है, जो खुदरा र्ईंधन को लेकर महत्वाकांक्षी है। बीपीसीएल को लेकर अपने इरादे पर रिलायंस अब तक चुप रही है।
हाल में बीपीसीएल के पूर्व चेयरमैन सार्थक बेहुरिया को नियुक्त करने वाली रिलायंस ने कुछ हफ्ते पहले आईओसी के पूर्व चेयरमैन संजीव सिंह को भी अपने यहां जगह दी। सूत्रों ने कहा, दोनों नियुक्तियां बीपीसीएल को लेकर कंपनी की इच्छा से जुड़ा हो सकता है।
सूत्रों ने कहा कि अपनी जामनगर रिफाइनरी को बीपीसीएल की मुंबई, कोच्चि व बीना यूनिट के साथ संयुक्त करने का रिलायंस का मतलब बनता है और बीपीसीएल के 17,138 पेट्रोल पंप व 1,406 र्ईंधन स्टेशनों को भी।
यही तर्क रोसनेफ्ट की अगुआई वाली नायरा एनर्जी के लिए भी लागू होता है, जो गुजरात में 2 करोड़ टन क्षमता वाली रिफाइनरी का परिचालन करती है और 5,822 पेट्रोल पंप का भी। लेकिन खबर है कि रोसनेफ्ट इसकी बोली की इच्छुक नहीं है।
