राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के अहमदाबाद पीठ ने आर्सेलरमित्तल को ओडिशा स्लरी पाइपलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर (ओएसपीआईएल) को राइट टू यूजेज (आरटीयू) शुल्क का भुगतान करने के लिए कहा है। आर्सेलरमित्तल एस्सार स्टील के समाधान के लिए सफल बोलीदाता रही थी। एनसीएलटी ने कंपनी को निगमित ऋण शोधन अक्षमता प्रक्रिया पर आए खर्च के मद में ओएसपीआईएल को इस रकम का भुगतान करने के लिए कहा है।
मंगलवार को जारी अपने 322 पृष्ठों के आदेश में न्यायाधिकरण ने कहा है कि समाधान प्रक्रिया के दौरान एस्सार स्टील का परिचालन जारी रखने के लिए स्लरी पाइपलाइन के इस्तेमाल पर उपयोग शुल्क का निर्धारण दिवालिया समाधान प्रक्रिया पर आए खर्च के तौर पर किया गया है। न्यायाधिकरण ने ओएसपीआईएल के वित्तीय कर्जदाता के रूप में श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस लिमिटेड (एसआईएफएल) द्वारा दायर एक आवेदन के आधार पर यह आदेश सुनाया। श्रेय ने आरटीयू शुल्क का आकलन करीब 1,300 करोड़ रुपये किया है। न्यायालय ने कहा कि खर्च का भुगतान नहीं कर एस्सार स्टील ने तय समाधा योजना के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। ओएसपीआईएल को आई लागत की भरपाई के लिए एस्सार स्टील को 15 दिसंबर 2020 तक का समय दिया गया है। इस रकम का भुगतान करने में असफल रहने की स्थिति में न्यायाधिकरण एस्सार स्टील के खिलाफ लिक्विडेशन ऑर्डर पारित कर सकता है।
आर्सेलरमित्तल और निप्पॉन स्टील ने संयुक्त रूप से 42,000 करोड़ रुपये में एस्सार स्टील का अधिग्रहण कर दिया था। इस अधिग्रहण के 11 महीने बाद इस अतिरिक्त रकम की मांग की गई है। अधिग्रहण के बाद एस्सार स्टील का नाम बदलकर एम/एनए इंडिया कर दिया गया था।
एनसीएलटी के आदेश पर एम/एनएस इंडिया ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन ऐसा समझा जा रहा है कि इस आदेश का चुनौती दी जा सकती है। श्रेय के एक प्रवक्ता ने कहा कि इसका हमेशा मानना रहा है कि एस्सार को बकाया आरटीयू शुल्क का भुगतान ओएसपीआईएल को करना चाहिए था। प्रवक्ता ने कहा, ‘एस्सार के समाधान के बाद सफल समाधन आवेदक को मंजूरी समाधान योजना की शर्तों के तहत इस रकम का भुगतान करना चाहिए था। अगर रकम का भुगतान कर दिया गया होता तो ओएसपीआईएल को अपने कर्जदाताओं को कर्ज भुगतान करने में दिक्कत नहीं आती। उस सूरत में ओएसपीआईएल के कर्जदाताओं एवं शेयरधारकों को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ होता। एनसीएलटी के अहमदाबाद पीठ के आदेश से हमारा रुख सही साबित हुआ है।’
ओएसपीआईएल 253 किलोमीटर लंबे स्लरी पाइपलाइन का परिचालन करती है। यह पाइपलाइन एएम/एनएस इंडिया के डाबुना में लौह-अयस्क बेनिफिकेशन प्लांट को पारादीप में 1.20 करोड़ टन क्षमता वाले पैलेट संयंत्र से जोड़ती है। इस्पात संयंत्र के लिए यह पाइपलाइन काफी अहम है। यह पाइपलाइन एस्सार को पट्टे पर दी गई थी और आरटीयू समझौते में ओएसपीआईएल के साथ तय शर्तें भी शामिल थीं। ओएसपीआईएल में हिस्सेदारी का प्रारूप कुछ इस तरह था कि इंडिया ग्रोथ ऑपच्र्यनिटीज फंड (आईजीओएफ) की इसमें 69 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि शेष हिस्सा एस्सार स्टील के पास था।
