कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के कारण मांग में सुस्ती से जूझ रही भारतीय विमानन कंपनियों ने बैंकों और बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऋण पुनर्गठन पर केवी कामत समिति के मापदंडों में रियायत देने की मांग की है। बैंक के अधिकारियों ने कहा कि वे विमानन क्षेत्र की जरूरतों के प्रति संवेदनशील हैं लेकिन जब तक नियामकीय स्तर पर रियायत नहीं दी जाएगी, तब तक विमानन कंपनियों को ऋण पुनर्गठन में सफलता नहीं मिलेगी। सूत्रों ने कहा कि स्पाइसजेट, गोएयर, विस्तारा और क्षेत्रीय विमानन कंपनी ट्रूजेट ने ऋण पुनर्गठन के लिए ऋणदाताओं से संपर्क किया था। स्पाइसजेट और गोएयर ने कार्यशील पूंजी जरूरतों के लिए ताजा ऋण के लिए भी बैंकों से संपर्क किया है।
निजी विमानन कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने ऋणदाताओं के साथ अपनी बातचीत के दौरान नियमों में रियायत देने के लिए कहा है। नागर विमानन मंत्रालय के जरिये आरबीआई को अवगत कराया गया है कि विमानन कंपनियों के नकदी प्रवाह पर फिलहाल कुछ समय तक दबाव बरकरार रह सकता है। ऐसे में पात्रता मानदंडों पर खरा उतरना विमानन कंपनियों के लिए मुश्किल होगा। वे भी चाहते हैं कि बैंक नई क्रेडिट लाइन देने में कहींं अधिक जिम्मेदारी दिखाएं। एक निजी विमानन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘ऋणदाताओं के साथ बातचीत में हमने बताया है कि विमानन कंपनियों को लाभप्रदता की राह पर लौटने के लिए कम से कम एक साल का समय चाहिए।
हालांकि सरकार ने लगभग 80 फीसदी परिचालन शुरू करने की अनुमति दी है लेकिन छुट्टियों के बाद के इस कमजोर मौसम (जनवरी से मार्च) में लाभप्रदता पर दबाव बरकरार रहेगा क्योंकि इस दौरान क्षमता अधिक होगी लेकिन यात्री कम।’ कामत समिति ने ऋणदाताओं को ऋण पुनर्गठन के दौरान पांच अनुपातों पर गौर करने की सलाह दी थी। इनमें बकाया देनदारी बनाम समायोजित शुद्ध हैसियत का अनुपात, ऋण बनाम एबिटा अनुपात, वर्तमान अनुपात, ऋण सेवा कवरेज अनुपात और औसत ऋण सेवा कवरेज अनुपात शामिल हैं। ऋण पुनर्गठन के लिए किसी भी विमानन कंपनी की पात्रता के लिए वर्तमान अनुपात 0.4 के बराबर अथवा इससे अधिक होना चाहिए जबकि ऋण बनाम एबिटा अनुपात 5.5 के बराबर अथवा इससे कम होना चाहिए।
एक निजी विमानन कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) ने कहा, ‘फिलहाल भारत में किसी विमानन कंपनी का वर्तमान अनुपात 3 से अधिक नहीं होगा। इसलिए हम इसे बढ़ाकर 4 करने की मांग कर रहे हैं।’ समिति ने इस क्षेत्र के लिए उच्च मापदंडों का बचाव करते हुए कहा था कि विमानन कंपनियों ने राजस्व के लिए कैश-ऐंड-कैरी मॉडल का उपयोग किया है और ऐसे में ग्राहकों से अग्रिम के रूप में काफी अधिक देनदारी और लगभग शून्य देनदार पैदा हुआ है। इस प्रकार की अग्रिम रकम विमानन कंपनियों के लिए लगभग दो महीने की बिक्री सुनिश्चित करती है।
सीएफओ ने कहा, ‘सैद्धांतिक तौर पर इसमें दम दिखता है। लेकिन ऐसी स्थिति में जहां विमानन कंपनियों को भारी छूट देनी होती है और यात्रियों की वापसी भी अनिश्चित होती है तो कैश-ऐंड-कैरी राजस्व मॉडल का सिद्धांत काम नहीं करता है। विमानन कंपनियां रियायती कीमतों पर टिकटों बिक्री कर रही हैं जबकि हवाई अड्डा शुल्क, पट्टा किराया और विमान ईंधन जैसी लागत में तेजी बनी हुई है।’ आरबीआई के अनुसार, उधारी के लिए अनुरोध करते समय कंपनियों को किसी भी रूप में कोई भी समाधान योजना ऋणदाता संस्थानों के समक्ष प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। आरबीआई ने कहा है, ‘उधारकर्ताओं को केवल समाधान ढांचे के तहत अनुरोध बैंकों के समक्ष प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी। जो खाते इस ढांचे के तहत पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करते हैं उन्हें विवेकपूर्ण ढांचे के तहत माना जा सकता है अथवा जहां विवेकपूर्ण ढांचा भी लागू नहीं होता है वहां ऋणदाता संस्थान विशिष्ट श्रेणी के तहत उचित निर्देश दे सकते हैं।’ बाजार की अग्रणी कंपनी इंडिगो 600 करोड़ रुपये की नई क्रेडिट लाइन हासिल करने में सफल रही है, लेकिन कमजोर फाइनैंशियल्स वाली विमानन कंपनियां ऐसा नहीं कर पाई हैं। मीडिया खबरों के अनुसार, सस्ती विमानन सेवा स्पाइसजेट ने 500 करोड़ रुपये की नई कार्यशील पूंजी और मौजूदा ऋण के पुनर्गठन के लिए येस बैंक से संपर्क किया है। सूत्रों ने बताया कि बैंक ने अभी तक उसे स्वीकार नहीं किया है और वह पुनर्गठन के बाद प्रवर्तक से ताजा पूंजी निवेश की प्रतिबद्धता पर जोर देगा। आईडीएफसी फस्र्ट ने 50 करोड़ रुपये के ऋण पर पुनर्भुगतान की अवधि बढ़ाने के लिए सहमति जताई है जिसे विमानन कंपनी ने 2020-21 में लिया था। जबकि कंपनी ऋण सेवा कवरेज अनुपात को 1.25 पर बनाए रखने में विफल रही जो ऋण देने का एक प्रमुख शर्त थी। विमानन कंपनी ने पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान घाटा दर्ज किया है। वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में उसकी नकारात्मक शुद्ध हैसियत 2,286.63 करोड़ रुपये थी।
सूत्रों ने कहा कि वाडिया समूह की विमानन कंपनी गोएयर ने करीब 2,000 करोड़ रुपये के नए ऋण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से संपर्क किया था। लेकिन बैंक ने सहमति नहीं दी और काफी गिरवी रखने की मांग की। 30 सितंबर, 2020 को समाप्त तिमाही के दौरान एकल आधार पर स्पाइसजेट की देनदारी 14,379 करोड़ रुपये थी।