मुनाफे में आ रही कमी के चलते प्रमुख अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियां पिछले 6 माह के दौरान भारत में अपनी उड़ानों की संख्या में तकरीबन 100 उड़ानों की कटौती कर चुकी हैं।
इन विमानन कंपनियों में वर्जिन अटलांटिक, श्रीलंका एयरलाइंस, ऑस्ट्रियन एयरलाइंस, डेल्टा, केएलएम और सिंगापुर एयरलाइंस शुमार हैं। वैश्विक स्तर पर जहां एयरपोर्ट शुल्क में कमी की जा रही है, वहीं देश में इसे बढ़ाया जा रहा है, विमानन ईंधन की कीमतें भी अन्य देशों के मुकाबले भारत में ज्यादा है।
वहीं कमीशन को लेकर ट्रैवल एजेंटों की ओर से टिकटों की बिक्री नहीं करने की धमकी के चलते इन कंपनियों को यह कदम उठाना पड़ा है। इसके साथ ही यात्रियों की घटती संख्या की वजह से भी विमानन कंपनियों को उड़ानों की संख्या में कटौती करनी पड़ी है।
सेंटर फॉर एशिया पैसिफिक एविएशन (सीएपीए) के अनुमान के मुताबिक, पिछले साल की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियों की मार्जिन जहां 10-20 फीसदी थी, वहीं यह घटकर इकाई अंक में आ गई है। यही नहीं, कुछ कंपनियों का मार्जिन तो नकारात्मक हो गया है।
अमेरिका और कनाडा जाने वाले भारतीय यात्रियों की पहली पसंद यूरोपीयन विमानन कंपनियों को इस दौरान सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। केएलएम के भारत और एशिया-पैसिफिक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मैर्निक्स फ्रूतिमा का कहना है कि अगर हालात में सुधार नहीं आया, तो भारत में कारोबार करना मुश्किल होगा। कंपनी का मुनाफा लगातार घट रहा है, जबकि लागत बढ़ रही है।
मौजूदा समय में भारत में लोड फैक्टर 80 के करीब है, जबकि कंपनी मुनाफे में तभी आ सकती है, जब यह 90 के करीब हो। यही नहीं, जब दुनियाभर के हवाईअड्डे शुल्क में कटौती कर रहे हैं, वैसे समय में भारत में इसे बढ़ाया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में भारतीय हवाईअड्डों के शुल्क में करीब 9-10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
केएलएम की ओर से पिछले साल अक्टूबर में हैदराबाद की उड़ानों को रद्द कर दिया गया था और कंपनी अभी केवल मुंबई और दिल्ली रूट पर ही सेवा उपलब्ध करा रही हैं। कंपनी की फिलहाल भारत में कोई नई उड़ान शुरू करने की योजना नहीं है। केएलएम की साझेदार एयर फ्रांस ने भी चेन्नई की उड़ान को हाल ही में रद्द किया है।
सिंगापुर एयरलाइंस के महाप्रबंधक (भारत) सीडब्ल्यू फू का भी कुछ ऐसा ही मानना है। वे कहते हैं कि भारत में हवाईअड्डा शुल्क में बढ़ोतरी हो रही है, जबकि मंदी से निपटने के लिए संबंधित एजेंसियां कुछ खास नहीं कर रही हैं। सिंगापुर एयरलाइंस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता में 11 फीसदी की कटौती की है, जबकि भारत में इसने 19 फीसदी की कटौती की है।
कंपनी पहले हफ्ते में 55 उड़ानों का संचालन करती थी, जिसे घटाकर 45 कर दिया गया है। गौरतलब है कि ट्रैवल एजेंटों के विरोध के चलते भी सिंगापुर एयरलाइंस को नुकसान हुआ है। पहले 70-80 फीसदी टिकटों की बिक्री ट्रैवल एजेंटों के जरिए की जाती थी, लेकिन उन्होंने इसकी बिक्री से हाथ खींच लिया है।
यूरोपीय विमानन कंपनी, जिसने हाल ही में मुंबई की उड़ानों को रद्द किया है, उसके एक अधिकारी का कहना है कि भारत में उड़ानों की लागत बढ़ रही है, जबकि यात्रियों की संख्या में कमी और शुल्क आदि में बढ़ोतरी के चलते कंपनी का मुनाफा लगातार घट रहा है। उनके मुताबिक, मुंबई रूट पर यात्रियों की संख्या में करीब 15-18 फीसदी की कमी आई है।
