वित्तीय दबाव झेल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया घरेलू ऋणदाताओं से 6,150 करोड़ रुपये के अल्पावधि ऋण (एसटीएल) जुटाने की तैयारी कर रही है। विमानन कंपनी सरकारी गारंटी के साथ यह ऋण इस महीने के अंत तक जुटाएगी।
जुटाई जाने वाली रकम का इस्तेमाल 7 बोइंग 787 विमान खरीदने के लिए लिए गए ऋण को चुकाने में किया जाएगा। निविदा दस्तावेज के अनुसार, विमानन कंपनी ने बैंकों को 20 नवंबर तक मूलधन को इंगित करते हुए अपनी बोली प्रस्तुत करने के लिए कहा है। सबसे कम ब्याज दर की पेशकश करने वाले बैंक को पहले शॉर्टलिस्ट किया जाएगा।
ब्याज दर उचित मार्जिन के साथ आधार दर के बजाय एमसीएलआर (रकम की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर) से संबंधित होगी। एमसीएलआर बैंक की आधार दर से कम होती है क्योंकि इसके तहत रकम की औसत लागत के बजाय सीमांत लागत पर ब्याज की गणना की जाती है। ऐसा पहली बार हुआ है जब एयर इंडिया रकम जुटाने के लिए ऋणदाताओं से संपर्क कर रही है क्योंकि कोरोनवायरस वैश्विक महामारी ने विमानन क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसने सरकार को इस विमानन कंपनी के निजीकरण की प्रक्रिया में चौथी बार देरी करने के लिए मजबूर किया है। 29 अक्टूबर को बोलीदाताओं के मानदंडों में छूट दी गई ताकि बोलीदाताओं को इक्विटी मूल्य के बजाय एंटरप्राइज मूल्य का उल्लेख करने की अनुमति दी जा सके। साथ ही बोली जमा करने की अंतिम समयसीमा को 14 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है।
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि यह उन बोलीदाताओं को आकर्षित करेगा जिन्होंने अब तक ऋण की रकम को न्यूनतम बोली सीमा निर्धारित की थी।
वित्तीय संकट के बावजूद सरकार ने इस विमानन कंपनी में नकद निवेश करने से इनकार कर दिया जिससे वह पट्टेदारों, हवाई अड्डों जैसे लेनदारों को भुगतान करने से चूक गई। इस सरकारी विमानन कंपनी पर भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण का बकाया 30 सितंबर के अंत 2,258.27 करोड़ रुपये था जो सभी विमानन कंपनियों के बीच सर्वाधिक है। अधिकारी ने कहा कि सरकार सॉवरिन गारंटी प्रदान करने के लिए सहमत है। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि एयर इंडिया में विनिवेश होने तक इसके परिचालन को लेकर सरकार चिंतित है। एयर इंडिया की पुनरुद्धार योजना के तहत वित्त वर्ष 2012 से इक्विटी निवेश के तौर पर उसे करीब 31,000 करोड़ रुपये मिले हैं लेकिन इसके बावजूद सरकारी विमानन कंपनी की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘एयर इंडिया ने वैश्विक महामारी के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए करीब 500 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश की मांग की थी लेकिन उसके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि सरकार इक्विटी निवेश करने करने की स्थिति में नहीं है। कोविड वैश्विक महामारी के कारण भोजन एवं अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के कारण सरकार की खर्च काफी बढ़ गई है।’
