मुंबई स्थित वाडिया समूह ने फ्रांस की ग्रुप दानोन कंपनी के साथ 13 वर्ष पुराना संबंध खत्म कर लिया है।
वाडिया घराने की बिस्कुट कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज ने दानोन को अपने संयुक्त उद्यम से अलग करने का फैसला किया है। वाडिया समूह ने कंपनी में फ्रांस की दानोन की हिस्सेदारी खरीद ली है।
खास बात यह कि दोनों साझेदार बीआईएल के बिस्कुट ब्रांड टाइगर पर बौध्दिक संपदा के अधिकार संबंधी मुकदमेबाजी भी खत्म करने पर सहमत हो गए हैं। अब दानोने मुक्त रूप से भारत में अपने कारोबार की शुरुआत कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि वाडिया ग्रुप और दानोन, दोनों ने लंदन स्थित कंपनी एसोसिएट्स बिस्कुट्स इंटरनैशनल होल्डिंग्स से 25.48-25.48 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। एक संयुक्त बयान में दोनों कंपनियों ने कहा कि दानोन ने एबीआई होल्डिंग्स में अपनी 50 फीसदी हिस्सेदारी वाडिया समूह को बेच दी है।
एबीआई होल्डिंग्स लिमिटेड के पास ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज में 50.96 फीसदी हिस्सेदारी थी। बयान में कहा गया कि इस समझौते के साथ ही टाइगर ब्रांड पर दानोन और ब्रिटानिया के बीच बौध्दिक संपदा को लेकर विवाद भी खत्म हो गया है।
हालांकि वाडिया की ओर से इस सौदे की राशि का जिक्र नहीं किया गया, लेकिन कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि बाजार भाव के तहत ही यह सौदा किया गया है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज में ब्रिटानिया के प्रति शेयर का मूल्य करीब 1,450 रुपये है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि यह सौदा करीब 800-900 करोड़ रुपये के बीच किया गया होगा।
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष नुस्ली वाडिया ने कहा कि वाडिया समूह इस अधिग्रहण को लेकर काफी खुश है। बीआईएल की अगुवाई एवं प्रबंधन पेशेवरों की एक सक्षम टीम द्वारा किया जाता है और यह टीम भारत और विदेश में खाद्य वस्तुओं के कारोबार में विकास के अवसर तलाशती रहेगी। इससे हमें कारोबार के विस्तार के लिए और अवसर मिलेंगे।
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज पर वाडिया ग्रुप का कब्जा
ब्रांड टाइगर पर बौध्दिक संपदा अधिकार का मसला भी सुलझा
