पश्चिम बंगाल सरकार ने बायोडीजल के प्रमुख स्रोत के रूप में जैट्रोफा की खेती के विकास के लिए कार्यक्रम बनाया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा जैव प्रौद्योगिकी से संबध्द राज्य विधानसभा की स्थायी समिति के अध्यक्ष सौमेन्द्र नाथ बेरा ने कहा कि राज्य में जैट्रोफा की विभिन्न किस्मों के बारे में पता लगाने के लिए एक सर्वे का भी प्रस्ताव है। सर्वे में उन जिलों में विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा, जहां जैट्रोफा के पौधे अनियंत्रित रूप से उपजते हैं। परियोजना को केंद्रीय जैव प्रौद्योगिकी विभाग के जैट्रोफा से संबध्द माइक्रो मिशन प्रोजेक्ट के तहत कार्यान्वित किया जाएगा।
जैट्रोफा तेल को ईंधन का बेहतर संभाव्य स्रोत बताते हुए बेरा ने कहा कि सर्वे के जरिए जैट्रोफा की विभिन्न किस्मों का पता लगाया जाएगा। साथ ही जैट्रोफा की उन्नत किस्म प्राप्त करने के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु परिस्थिति का भी पता लगाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि जैट्रोफा की बड़े पैमाने पर खेती के लिए हुगली और बांकुरा में एक परीक्षण किया गया है। उन्होंने कहा – इसकी खेती का अन्य जिलों में भी विस्तार किए जाने का प्रस्ताव है। हालांकि यह खेती के कुल क्षेत्र तथा बीज उत्पादन पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि जेट्रोफा के ऐसे पौधे लगाए जाएंगे जिनसे ज्यादा तेल निकलने की संभावना हो। बेरा ने कहा कि गढ़मंदारन में इस बाबत तीन साल के लिए 15 हेक्टेयर जमीन ली गई है, जिनमें से 5 हेक्टेयर जमीन पर 2005-06 में ही काम शुरू हो गया था और बाकी पर इस साल काम शुरू होगा।
उन्होंने कहा कि पौधे के ग्रोथ के बारे में 2005 से ही जांच हो रही है और इसके नतीजे इस साल आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हुगली जिले के चिनसुरा-मोगरा ब्लॉक में अतिरिक्त 5 हेक्टेयर जमीन दी गई है।