भारत में चावल का भंडार नवंबर में बढ़कर अधिकतम स्तर 2.97 करोड़ टन पहुंच गया। सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि यह सरकार के लक्ष्य से करीब तीन गुना अधिक है। दरअसल, निर्यात पर बीते दो वर्षों के दौरान प्रतिबंध लगे रहने के कारण स्थानीय स्तर पर आपूर्ति काफी बढ़ गई है।
चावल का भंडार ज्यादा होने से विश्व के सबसे बड़े चावल निर्यातक यानी भारत की विदेशों में भेजे जाने वाली खेप में इजाफा हो सकता है और उसे स्थानीय आपूर्ति के बारे में चिंता नहीं करनी पड़ेगी। दरअसल, भारत ने बीते वर्ष सभी किस्म के चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था।
सूत्रों ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि इस महीने की शुरुआत में सरकारी भंडारगृहों में चावल का भंडार कुल 2.97 करोड़ टन था और यह बीते साल की तुलना में 48.5 फीसदी अधिक था। किसानों ने इस साल गर्मी के मौसम में रिकॉर्ड 12 करोड़ टन चावल हासिल किया और यह कुल चावल उत्पादन का 85 प्रतिशत था।
सरकारी अनाज संग्रहकर्ता भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में नई फसल की आवक होनी है और इससे आने वाले महीनों में भंडारण और बढ़ेगा। इससे विश्व के दूसरे सबसे बड़े चावल उत्पादक देश के समक्ष भंडारण संबंधित चिताएं खड़ी हो गई हैं।
एफसीआई को 1 अक्टूबर से शुरू हुए विपणन साल में गर्मी में बोआई वाले चावल की खरीद 4.85 करोड़ टन होने की उम्मीद है। यह 2023-24 के दौरान किसानों से खरीदे गए 4.63 करोड़ टन से अधिक होगी।