facebookmetapixel
Q3 में तेजी से सुधरा वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक सेक्टर, मांग 64% बढ़ी; मुंबई और कोलकाता का प्रदर्शन शानदारIncome Tax: रिवाइज्ड IT रिटर्न क्या है, जिसे आप कैलेंडर ईयर के अंत तक फाइल कर सकते हैंIndia International Trade Fair 2025: साझीदार राज्य बना यूपी, 343 ओडीओपी स्टॉल्स और 2750 प्रदर्शकों के साथ बड़ा प्रदर्शनबुलेट बनाने वाली कंपनी का मुनाफा 25% बढ़कर ₹1,369 करोड़, रेवेन्यू में 45% की उछालPhonePe ने OpenAI के साथ मिलाया हाथ, अब ऐप में मिलेगी ChatGPT जैसी खास सुविधाएंNFO Alert: ₹99 की SIP से Mirae Asset MF के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में निवेश का मौका, जानें इसकी खासियतDigital Life Certificate: ऑनलाइन जीवन प्रमाण पत्र जमा करते समय साइबर धोखाधड़ी से कैसे बचें?सरकार का बड़ा प्लान! क्या मुंबई 2029 तक जाम और भीड़ से मुक्त हो पाएगीसस्ते स्टील पर बड़ा प्रहार! भारत ने वियतनाम पर 5 साल का अतिरिक्त टैक्स लगाया45% तक मिल सकता है रिटर्न! शानदार नतीजों के बाद Vodafone Idea, Bharti Airtel में तगड़ी तेजी का सिग्नल

सटोरियों के लिए सरसों बना ‘सोना’

Last Updated- December 07, 2022 | 9:42 AM IST

खाद्य तेलों  के वायदा पर प्रतिबंध के बाद सटोरिए सरसों की जमकर खरीदारी कर रहे हैं। सरसों इन दिनों सटोरियों को सोने का दाना नजर आ रहा है।


उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि बाजार लाख टूट जाए, सरसों का बाजार गर्म रहेगा। पिछले दो महीनों के दौरान सरसों के वायदा भाव में हो रहे लगातार उछाल व उसके कारोबार के बढ़ते बाजार भी साफ तौर पर इस ओर इशारा करते हैं।

इस जून महीने के दौरान सरसों के वायदा कारोबार में पिछले साल जून महीने के मुकाबले लगभग 120 फीसदी का इजाफा हुआ। वही सरसों की हाजिर कीमत में एक मई से एक जुलाई के दौरान प्रति क्विंटल 125 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। नवंबर महीने के लिए सरसों का वायदा भाव 702 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच चुका है।

वायदा कारोबार से जुड़े सटोरियों के मुताबिक कृषि से जुड़ी चीजों में खाद्य तेल उनकी पहली पसंद थी। सरकार ने खाद्य तेल के वायदा पर पाबंदी लगा दी, लिहाजा तिलहनं खास कर सरसों उनकी खास पसंद हो चुकी है। उन्हें यह भी पता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमत व घरेलू बाजार की मांग व स्टॉक को देखते हुए तिलहन के मामले में उन्हें हमेशा बंपर फायदा होगा।

मुख्य रूप से कृषि जिंसों का वायदा कारोबार करने वाला एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में पिछले साल मई महीने के दौरान सरसों का कुल वायदा कारोबार 3615.50 करोड़ रुपये का रहा जो वर्ष 2008, मई के दौरान 11,050.42 करोड़ रुपये का हो गया। यानी कि दोगुने से भी ज्यादा का इजाफा। इस साल जून में यह कारोबार 10,963.73 करोड़ रुपये का हुआ जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान मात्र 4693.52 करोड़ रुपये का था। सटोरिए कहते हैं कि जो पैसे खाद्य तेल में लग रहे थे वे इन दिनों तिलहन में लग रहे हैं। जुलाई महीने के सिर्फ चार दिनों में 1346.79 करोड़ रुपये का कारोबार हो चुका है।

सरसों की वायदा कीमत भी लगातार बढ़ती जा रही है। 2008, अप्रैल महीने के आरंभ में सरसों की वायदा कीमत 532 रुपये प्रति क्विंटल थी जो 4 जुलाई को 702 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गयी। सूत्रों का कहना है कि सरकार के पास सरसों का स्टॉक बिल्कुल नहीं के बराबर है। उधर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोया व पाम ऑयल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी के कारण सरसों में भी मजबूती का रुख बरकरार है।

घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमत पिछले एक महीने के दौरान 10 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ चुकी है। उत्तर भारत में सरसों तेल की मांग सबसे अधिक होती है। फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन के मुताबिक भारत में सालाना 5-6 फीसदी की दर से खाद्य तेलों की मांग बढ़ती जा रही है।

First Published - July 8, 2008 | 12:24 AM IST

संबंधित पोस्ट