इस्पात कीमतों में हस्तक्षेप नहीं करेगी सरकार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:00 PM IST

इस्पात के लिए किसी कीमत दायरे की संभावना को खारिज करते हुए सरकार ने आज कहा कि वैश्विक स्तर पर नरमी के कारण घरेलू इस्पात कीमतों में भी कमी आनी चाहिए।


इस्पात सचिव पी के रस्तोगी ने सीआईआई स्टील टयूब संगोष्ठी के अवसर पर कहा, ‘हम इस्पात कीमतें तय नहीं करते हैं और न ही इस्पात उद्योग के लिए किसी कीमत प्रणाली के समर्थक हैं। सरकार तो एक प्रोत्साहक की भूमिका निभाना चाहेगी।’ रस्तोगी ने कहा कि वैश्विक कीमतों में नरमी के मद्देनजर घरेलू स्तर पर भी कीमतों में कमी आनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ माह पहले विभिन्न राजकोषीय उपाय किए थे तब घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने के लिए इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क लगाया गया। सचिव ने कहा कि इस्पात कंपनियों को लंबे समय के लिए लौह अयस्कों की आपूर्ति करने के लिए खनन कंपनियां दीर्घकालिक अनुबंध करने के बारे में सहमति जता दी है लेकिन इस संबंध में दोनों पक्षों में बातचीत अभी पूरी नहीं हुई है।

उन्होंने कहा, ‘लौह अयस्क उत्पादकों ने दीर्घकालिक समझौते के लिए सहमति जताई है। सरकार ने माइनरों तथा इस्पात उत्पादकों के बीच बातचीत कराई है और बैठक फिर से होगी। बातचीत अभी भी जारी है।’

रस्तोगी ने कहा कि सरकार माइनरों और स्टील उत्पादकों के बीच दीर्घकालिक समझौता चाहती है ताकि लौह अयस्क की आपूर्ति उचित कीमत पर होती रहे और अंतिम उत्पाद की कीमतों में कमी आए। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि बढ़ती मांगों को देखते हुए 30 लाख टन स्टील के निर्यात किए जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष में स्टील की मांग में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है लेकिन उत्पादन में केवल 6 फीसदी की वृध्दि हुई। मांग और आपूर्ति में 6 प्रतिशत का अंतर है जिसे निर्यात के जरिए पाटने की आवश्यकता है।’ वर्तमान में स्टील का घरेलू उत्पादन लगभग 550 लाख टन है।

आपूर्ति बढ़ाने के उपाय होंगे

लौह अयस्क के निर्यात पर लगने वाले शुल्क में एक तिहाई की बढ़ोतरी कर भारत सरकार घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ 16 वर्षों के उच्चतम स्तर पर चल रहे महंगाई को नियंत्रित करने की योजना बना रही है। स्टील सचिव प्रमोद रसेगी ने आज कहा कि सरकार शुल्क को बढ़ा कर 20 प्रतिशत करने पर विचार कर रही है।

जून महीने में शुल्क को बढ़ा कर 15 प्रतिशत कर दिया गया था। भारत लौह अयस्क की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और स्टील बनाने में प्रयुक्त होने वाले तत्वों की स्थानीय कीमतों को नियंत्रित करने का उपाय कर रही है। भारत के सबसे बड़े स्टील उत्पादक टाटा स्टील लिमिटेड और तीसरे सबसे बड़े उत्पादक जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड ने सरकार के सुझाव पर मई के बाद मूल्यों में वृध्दि नहीं की है जबकि ये कंपनियां रेकॉर्ड लागत मूल्यों से जूझ रही हैं।

महंगाई को नियंत्रित करने के प्रयासों के रुप में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अप्रैल में चावल, गेहूं और दालों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया और स्टील निर्माताओं से कीमतें कम करने के लिए कहा था। फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज के अनुसार भारत ने 31 मार्च को समाप्त हुए वर्ष में भारत ने आकलित तौर पर 930 लाख टन लौह अयस्कों की लदाई की थी। भारत का 23 अरब टन का लौह अयस्क भंडार विश्व में पांचवां सबसे बड़ा है।

First Published : September 13, 2008 | 12:33 AM IST