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अयस्क पर निर्यात शुल्क से इस्पात कंपनियों पर असर मुमकिन

Last Updated- December 07, 2022 | 6:05 AM IST

लौह अयस्क के निर्यात पर 15 फीसदी का आयात शुल्क थोपने के विरोध में देश के निजी खनन कंपनियों ने सरकार को खनन कार्य ठप्प करने की चेतावनी दी है।


आशंका जतायी जा रहा है कि दूसरी श्रेणी के इस्पात बनाने वाली कंपनियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। लौह अयस्क उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था द फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल्स इंडस्ट्रीज (एफआईएमआई) इस मुद्दे पर सरकार से भिड़ने की तैयारी कर रही है।

एफआईएमआई के अध्यक्ष और एमएसपीएल के कार्यकारी निदेशक आर.एन. बाल्डोटा ने बताया कि फाइन क्वालिटी वाले लौह अयस्क के निर्यात रोकने से घरेलू बाजार में इसकी प्रचुरता हो जाएगी। जबकि देश के इस्पात निर्माता इस क्वालिटी का इस्तेमाल नहीं करते। उन्होंने कहा-इसका परिणाम यह हो सकता है कि घरेलू खनन कंपनियां अपनी खुदाई गतिविधियां ही बंद कर दें जिससे घरेलू इस्पात कंपनियों के लिए लौह अयस्क की कमी हो जाए।

बाल्डोटा के मुताबिक, यदि ऐसा हुआ तो दूसरी श्रेणी के 2.2 करोड़ टन इस्पात के उत्पादन पर इसका काफी बुरा असर पड़ेगा। जानकारों के मुताबिक निर्यात शुल्क की बढ़ोतरी से विदशों में लौह अयस्क के होने वाले निर्यात पर इसका काफी नकारात्मक असर होगा। गौरतलब है कि पिछले दो महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में लौह अयस्क की कीमतों में लगभग 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।

इसके अलावे पिछले 45 दिनों में घरेलू स्तर पर रेलवे के किराए में 17 फीसदी और रॉयल्टी में 10 फीसदी की तेजी आ चुकी है। निर्यात पर लेवी लगा देने से यह साफ है कि देश से निर्यात होने वाले लौह अयस्क की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ेंगी, जिसका खामियाजा अंतत: इसी क्षेत्र को भुगतना पड़ेगा।

First Published - June 18, 2008 | 11:18 PM IST

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