सरकार को टिकाऊ सुधारों के लिए श्रम संहिता तुरंत लागू करनी चाहिए
भारत में वेतन वृद्धि उतनी अधिक क्यों नहीं है जितनी होनी चाहिए? चाहे किसी संगठित क्षेत्र के औद्योगिक प्रतिष्ठान में काम करने वाला कामगार हो या असंगठित क्षेत्र का मजदूर, वेतन मुश्किल से इतना बढ़ता है कि महंगाई के साथ तालमेल बना सके। दुर्भाग्यवश, कुछ ही शोधकर्ताओं ने इस मुद्दे को गहराई से समझने की […]
सरकार को घरेलू विनिर्माण को स्वार्थी ताकतों से बचाना चाहिए
सरकार ने हाल ही में यह घोषणा की है कि वह स्टील से लेकर मोबाइल कवर तक विभिन्न उत्पादों के विरुद्ध एंटी-डंपिंग जांच करेगी। भारत में एंटी-डंपिंग का इस्तेमाल संरक्षणवादी उपाय के रूप में व्यापक रूप से किया जाता है। इसके साथ-साथ उच्च शुल्क दरें, मात्रात्मक प्रतिबंध, नकारात्मक आयात सूची और अन्य उपाय भी अपनाए […]
उच्च विनिर्माण लागत सुधारों और व्यापार समझौतों से भारत के लाभ को कम कर सकती है
शुल्क वृद्धि की चुनौती से निपटने के लिए हमें क्या करना चाहिए? यह दिक्कत कहीं अधिक गहरी समस्या के संकेतों को रेखांकित करती है: हमारे खेत और हमारी कंपनियां पर्याप्त उत्पादक नहीं हैं और कारोबार की लागत भी इतनी कम नहीं है जो वैश्विक बाजारों के लिए उपयुक्त हो। इस समस्या को हल करने से […]
ई-कॉमर्स और छोटे खुदरा कारोबारियों के सह अस्तित्व के लिए समझदारी भरी नीतियों की दरकार
खुदरा कारोबार की प्रकृति बदल रही है और भारत निस्संदेह वैश्विक स्तर पर इस बदलाव का अगुआ है। यह स्पष्ट है कि भारतीय उपभोक्ताओं ने ई-कॉमर्स को बहुत बड़े पैमाने पर अपनाया है। उदाहरण के लिए मेरे घर पूरी तरह ऑनलाइन ऑर्डर किए जा रहे हैं। यहां तक कि मेरी घरेलू सहायिका भी […]
AI से सुशासन: भविष्य-सम्मत नीतियों के लिए जरूरी है लचीली व्यवस्था
यह स्पष्ट है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) टूल्स और असीमित ज्ञान को एकत्रित करने व जटिल विश्लेषण करने की उनकी क्षमता दुनिया के शासन और नीति निर्माण में बहुत अधिक योगदान कर सकते हैं। परंतु क्या ऐसा होगा और अगर होगा तो कब होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार अपनी प्रक्रियाओं […]
खनिजों पर चीनी प्रभुत्व को तोड़ने के लिए अड़चनें दूर करना पर्याप्त नहीं
स्टेल्थ विमान, ड्रोन, कंप्यूटर चिप, इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी, निगरानी उपकरण और मोबाइल फोन, ये सभी ऐसे खास खनिजों पर निर्भर हैं जिन्हें हम क्रिटिकल मिनरल या दुर्लभ खनिज कहते हैं। दुर्भाग्य से भारत में क्रिटिकल मिनरल सीमित मात्रा में हैं और इनके प्रसंस्करण की विशेषज्ञता की भी कमी है। ये ऐसी कमजोरियां हैं, जो हमारी […]
गुणवत्ता नियंत्रण और समझ-बूझ भरी नीति
भारत अपने बाजारों को लगातार खोलता जा रहा है, जिसके साथ अधिक विश्वास भरी, कम प्रतिक्रिया वाली तथा ज्यादा सक्रिय आयात नीति व्यवस्था की शुरुआत हो रही है। यह बदलाव पिछले वर्ष किसी समय आरंभ हो गया था लेकिन पिछले बजट के बाद इसने गति पकड़ी और अब मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की संभावना ने […]
ट्रंप टैरिफ में भारत के लिए छिपा है अवसर
अमेरिका ने आखिरकार वह टैरिफ लागू कर दिया है जिसकी धमकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप दे रहे थे। सभी उत्पादों पर 10 फीसदी टैरिफ और व्यापार साझेदारों द्वारा लगाए जा रहे शुल्क के बराबर का टैरिफ लागू होने पर अमेरिका को निर्यात होने वाला हमारा काफी सामान पहले से महंगा हो जाएगा। भारत उन देशों में […]
अनिश्चित जलवायु का कैसे हो नियमन
मानवता की सारी ऊर्जा इन दिनों खुद पर ही लगी हुई है और जलवायु का एजेंडा अब उसकी शीर्ष प्राथमिकताओं में नहीं है। पश्चिम के लोकतंत्रों के पास विकासशील देशों को देने के लिए धन नहीं है, विकासशील देश भी वृद्धि तथा दूसरी प्राथमिकताओं पर समझौता करने को तैयार नहीं हैं और बाकी कुछ मायने […]
विकसित भविष्य के लिए जरूरी हैं प्लेटफॉर्म
भारत को 2047 तक विकसित बनाने का लक्ष्य मुझे आकर्षित तो करता है मगर अपनी बिरादरी के दूसरे लोगों की तुलना में मुझे संदेह भी अधिक होता है। यह लक्ष्य बेहद करीब नजर आता है, जिसकी वजह से और भी लुभाता है। अगर हम बीते जमाने के मॉडल और सबक आजमाते हैं तो इस लक्ष्य […]