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डिजिटल परिसंपत्ति नीति पर रफ्तार बनाए भारत, BFSI समिट में एक्सपर्ट्स ने कहा

कॉइनडीसीएक्स के सह संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुमित गुप्ता ने कहा, ‘विनियमन पर ध्यान देने का यह सही समय है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- October 30, 2025 | 11:05 PM IST

मुंबई में आयोजित बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2025 में क्रिप्टोकरेंसी उद्योग के दिग्गजों और नीति निर्माताओं ने कहा कि भारत को डिजिटल परिसंपत्ति क्षेत्र के लिए तुरंत स्पष्ट और व्यापक नियमन तैयार करने चाहिए क्योंकि नीतियों को तैयार करने में अनिश्चितता बढ़ने से नवाचार में भी दिक्कत होगी और प्रतिभाशाली लोग विदेश जा सकते हैं।

‘इंडियाज क्रिप्टो क्रॉसरोड्सः टाइम फॉर ए पॉलिसी रिथिंक?’ शीर्षक से जुड़ी एक पैनल चर्चा में शामिल प्रतिभागियों ने यह भी कहा कि भारत को भारतीय रुपये से जुड़े स्टेबलकॉइन को तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

इस विषय से जुड़े एक सत्र का संचालन बिज़नेस स्टैंडर्ड की शिवानी शिंदे ने किया जिसमें भारत वेब3 एसोसिएशन (बीडब्ल्यूए) के चेयरमैन दिलीप शेनॉय ने कहा, ‘इस क्षेत्र में वर्ष 2032 तक भारत के पास 1.1 लाख करोड़ डॉलर तक के मौके हैं। भारत ने जी20 में वैश्विक नियमन बनाने में नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाई और हमें एक तरह का ब्लूप्रिंट मिला। यह अजीब है कि अब 18 जी20 देशों में किसी न किसी तरह के विनियमन हैं, लेकिन भारत में नहीं है। मुझे लगता है कि हम सभी को मिलकर आगे बढ़ने के लिए एक नियमन बनाना चाहिए और यह करना बहुत मुश्किल नहीं है।’

कॉइनडीसीएक्स के सह संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुमित गुप्ता ने कहा, ‘विनियमन पर ध्यान देने का यह सही समय है। इस क्षेत्र को नियमित करने का सबसे अच्छा समय कल था और दूसरा सबसे अच्छा समय आज है। अगर आप आज नहीं करते हैं, तब हम पीछे रह जाएंगे। अगर हमने इस क्षेत्र में नवाचार नहीं किया तब हमारे सामने बहुत बड़ा खतरा है।’

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व कार्यकारी निदेशक जी. पद्मनाभन ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र तेजी से डिजिटलीकरण और टोकनाइजेशन (संवेदनशील डेटा को कोड या टोकन में बदलना) की ओर बढ़ रहा है, जिससे नियमन जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा, ‘वित्तीय क्षेत्र का भविष्य डिजिटल है। वित्त का भविष्य टोकनाइजेशन है।’

पद्मनाभन का यह भी मानना था कि भले ही भारत ने क्रिप्टो में मौका गंवा दिया है, लेकिन वह स्टेबलकॉइन को नजरअंदाज नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, ‘मैं यह बताना चाहता हूं कि आईएमएफ के सदस्य देशों में से लगभग 70 प्रतिशत पहले से ही स्टेबलकॉइन के संबंध में किसी न किसी तरह के नियमन पर विचार कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि उनका मानना है कि स्टेबलकॉइन में वृद्धि, क्रिप्टो की तुलना में बहुत तेजी से होगी।’

बाइनैंस के प्रमुख (एपीएसी) एस. बी. सेकर ने कहा कि स्पष्ट नियमन न होने के कारण, डिजिटल परिसंपत्ति पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम एक ऐसे देश के बारे में बात कर रहे हैं जो पिछले चार सालों में डिजिटल परिसंपत्ति को अपनाने के मामले में सबसे आगे रहा है। मुझे लगता है कि भारत को यह तय करना होगा कि मॉडल से जुड़े पर्याप्त विकल्प उपलब्ध हैं।’

जब उनसे पूछा गया कि क्या इस सेगमेंट को एक अलग नियामकीय संस्था की जरूरत है, तब इस बात पर पैनल में शामिल विशेषज्ञों में मतभेद था। सेकर ने कहा कि संरचना से ज्यादा नतीजे मायने रखते हैं, ‘दो मॉडल हैं। दुबई ने एक अलग नियामक बनाया है जबकि अन्य ने इसे मौजूदा वित्तीय तंत्र में मिला दिया। जब तक संवैधानिक जनादेश है, तब तक एक नए निकाय की जरूरत नहीं है।’

First Published : October 30, 2025 | 11:03 PM IST