Categories: खेल

ऑटो जगत का चहेता गुजरात

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 11:47 PM IST

सिंगुर छोड़कर गुजरात जाने के साथ ही टाटा इस राज्य में आने वाली तीसरी ऑटो कंपनी बन गई है। गुजरात में ऑटो निर्माण संयंत्र लगाने वाली पहली कंपनी थी हिंदुस्तान मोटर्स।


कंपनी ने गुजरात के हलोल में यह संयंत्र लगाया था। लेकिन साल 1996 में जनरल मोटर्स ने इसे खरीद लिया था। जनरल मोटर्स के इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता लगभग 85,000 इकाई है।

गुजरात में वाहन बना रही दूसरी बड़ी कंपनी एशिया मोटर वर्क्स (एएमडब्ल्यू) है। एएमडब्ल्यू 25-45 टन वजन वाले व्यावसायिक वाहनों का निर्माण करती है। एमडब्ल्यू का संयंत्र भुज में है और कंपनी को भूकंप पुनर्निर्माण योजना के तहत सरकार की तरफ से रियायत भी मिलती है।

उद्योग सूत्रों के अनुसार गुजरात के कई वेंडर्स नैनो परियोजना का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन नैनो का उत्पादन शुरू होने के बाद चीजें बदल जाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि टाटा ने गुजरात आने का फैसला तीन कारणों से लिया है।

पहला है- गुजरात में कांधला, पिपावा, मुंद्रा और हाल्दा जैसी बंदरगाहों की मौजूदगी। मारुति सुजुकी ने भी अदानी समूह के साथ मुंद्रा बंदरगाह को विकसित करने के लिए करार कि या है। मारुति इस बंदरगाह से लॉन्च होने वाली अपनी कार ‘ए स्टार’ का निर्यात करने की योजना बना रही है। इसके लिए कंपनी ने लगभग 100 करोड़ रुपये का निवेश भी कर दिया है।

इस साल के अंत तक इस बंदरगाह का परिचालन शुरू हो जाने की उम्मीद है। मारुति इस नए टर्मिनल से लगभग 1 लाख ‘ए स्टार’ कारों का निर्यात करने की योजना बना रही है। दूसरी वजह है- गुजरात की औद्योगिक नीति यहां निवेश को बढ़ावा देती है।

जनरल मोटर्स के उपाध्यक्ष और निदेशक (कारोबारी मामले) पी बालेंद्र ने बताया, ‘श्रमिकों, परिचालन में पारदर्शिता, बुनियादी सुविधाएं और निवेशकों के प्रति व्यवहार में गुजरात का कोई जवाब नहीं है।’ बेहतर बुनियादी सुविधाओं की मौजूदगी के साथ ही मोदी सरकार की नीतियों के कारण दक्षिण का ऑटो उद्योग भी गुजरात में आकर निर्माण इकाइयां लगा रहा है।

ऑटो उद्योग के विशेषज्ञों के मुताबिक साल 2001 में हुए गुजरात दंगों में ऑटो उद्योग को काफी नुकसान हुआ था। लेकिन इसके बाद भी गुजरात निवेशकों की पहली पसंद बन गया है। एक ऑटोमोबाइल कंपनी के अधिकारी ने बताया, ‘दंगे, हड़ताल, भूकंप जैसी घटनाएं तो देश के किसी भी राज्य में हो सकती हैं। गुजरात कोई अलग राज्य नहीं है।’

गुजरात में स्थापित सहायक ऑटो कंपनियों की सूची में स्टैंडर्ड रेडिएटर्स, इन्वेस्टमेंट प्रीसिशन ऐंड मोल्डिंग, ब्रेक्स इंडिया और गुजरात सेटको के नाम भी शामिल हैं। इस उद्योग के सूत्रों का मानना है कि गुजरात सरकार राज्य में ऑटो उद्योग को बढ़ावा देने की हरसंभव कोशिश कर रही है। नैनो के गुजरात में आने से सरकार की इन कोशिशों को अच्छा खासा बढ़ावा मिलेगा।

First Published : October 13, 2008 | 4:02 AM IST