Categories: विशेष

सहारनपुर की काष्ठकला पर महंगाई का हमला

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 6:31 PM IST

सहारनपुर के जिस काष्ठकला उद्योग की चमक पर कोरोना महामारी का जरा भी असर नहीं हुआ था, उस पर अब महंगाई ग्रहण लगा रही है। साथ में बिगड़े वैश्विक आर्थिक हालात ने कोढ़ में खाज का काम किया है। दोहरी आफत के कारण इस उद्योग के निर्यात पर मार पड़ी है, जिसकी चोट वहां के उद्यमियों और निर्यातकों को मुनाफे पर झेलनी पड़ रही है।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में लकड़ी का सामान बनाने वाले करीब 1,000 छोटे-बड़े कारोबारी हैं और प्रत्यक्ष तथा परोक्ष तौर पर 1.5 से 2 लाख लोग इस उद्योग से जुड़े हुए हैं। वहां के फोटो फ्रेम, जूलरी बॉक्स, वॉल पैनल, टेबल लैंप, कैंडल लैंप, सजावटी सामान, कुर्सी व अन्य फर्नीचर उत्पादों की देसी और विदेशी बाजार में जमकर मांग रहती है। सबसे अधिक मांग अमेरिका, जापान, थाईलैंड, इटली और अफ्रीकी देशों में रहती है। मगर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बिगड़े आर्थिक हालात के बीच इन उत्पादों की मांग कमजोर हो गई है। पिछले वित्त वर्ष में सहारनपुर के लकड़ी के सामान का निर्यात 35 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ गया था। मगर इस साल निर्यात बहुत धीमा है।
सहारनपुर वुड कार्विंग ऐंड मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष और लकड़ी के सामान के निर्यातक इरफान उल हक ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कोरोना के दौरान भी सहारनपुर के काष्ठकला उत्पादों का खूब निर्यात हुआ। पिछले वित्त वर्ष में 900 से 1,000 करोड़ रुपये कीमत का माल विदेश गया था। लेकिन चालू वित्त वर्ष में निर्यात 700 से 800 करोड़ रुपये ही रहने का अनुमान है क्योंकि विदेशी खरीदारों ने पिछले साल काफी माल खरीदकर रख लिया है। अब आर्थिक हालात बिगड़ने पर खरीदार जेब से इजाजत मिलने पर ही माल खरीद रहे हैं। सहारनपुर में लकड़ी का सामान बनाने वाले उद्यमी उमेश सचदेवा कहते हैं कि इस साल रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक कारोबार में अनिश्चितता आ गई है।  पिछले साल कोरोना के बावजूद महीने में 4-5 बड़े ऑर्डर आते थे मगर अब 2-3 ऑर्डर भी नहीं आ रहे।
काष्ठकला निर्यातक जावेद इकबाल ने बताया कि काष्ठकला उत्पादों की देसी व विदेशी मांग तो कमजोर पड़ी ही है, महंगाई के कारण विनिर्मातों पर दोहरी मार पड़ रही है। इस उद्योग का सबसे प्रमुख कच्चा माल लकड़ी है, जो बहुत महंगी हो गई है। सहारनपुर के हुनरमंद आम की लकड़ी का सबसे अधिक प्रयोग करते हैं। पिछले डेढ़ साल में बढ़िया किस्म की आम की लकड़ी का दाम 200-250 रुपये बढ़कर 700 से 800 रुपये प्रति मन (40 किलो) हो गए हैं। हल्की किस्म की लकड़ी भी 70-80 रुपये महंगी होकर 300-400 रुपये मन मिल रही है। शीशम की लकड़ी 800 से 1,000 रुपये प्रति मन मिल रही है। इसके दाम भी 300 से 400 रुपये बढे हैं। लकड़ी के अलावा पैकिंग का सामान भी महंगा हो गया है। 30-40 रुपये में मिलने वाला कार्टन 60-70 रुपये में मिल रहा है।  मजदूरी भी ज्यादा देनी पड़ रही है। ऐसे में लागत 30-40 फीसदी बढ़ गई है।
दिक्कत यह है कि चीन से प्रतिस्पर्द्धा के कारण लागत के मुताबिक दाम नहीं बढ़ाए जा सकते। ऐसे में कम मुनाफे पर निर्यात करना पड़ रहा है। पहले 20 फीसदी तक मुनाफा मिल जाता था, जो अब घटकर  10 से 12 फीसदी रह गया है।

First Published : June 3, 2022 | 12:25 AM IST