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ईवी में आग से लिथियम आयन बैटरी पर शंका

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 7:50 PM IST

पिछले दिनों आग की लपटों में घिरे इलेक्ट्रिक दोपहिया की तस्वीरों ने इन वाहनों की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा कर दी है। एक ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने तथा यूनिकॉर्न कंपनियों की हर हाल में आगे निकलने वाली प्रकृति के संबंध में सोशल मीडिया पर शोर-शराबे के कुछ दिन बाद दो और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) स्टार्टअप – ओकिनावा और प्योर के दोपहिया वाहनों का भी यही हश्र हुआ।

ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं?
उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक ऐसी तकनीकी चुनौती है, जिसका सामना न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर वाहन विनिर्माताओं को करना पड़ रहा है तथा इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाले लिथियम आयन सेल इस समस्या के केंद्र बिंदु हैं।
ईवी स्टार्टअप एक्सपोनेंट एनर्जी के सह-संस्थापक अरुण विनायक का कहना है कि ईवी में आग क्यों लगती है, मूल रूप से इसकी वजह यह है कि लिथियम आयन सेल थर्मल रनवे कही जाने वाली स्थिति में जा सकते हैं। इसका मतलब है कि बैटरी के अंदर पैदा हुई गर्मी उसके आस-पास की गर्मी से अधिक हो जाती है और आम तौर पर ऐसा तब होता है, जब सेल कुछ सौ डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म हो जाते हैं।
इस वजह से यह महत्त्वपूर्ण है कि शॉट सर्किट जैसी घटनाओं को रोकने के लिए न केवल अत्यधिक सावधानी के साथ बैटरियों को डिजाइन किया जाए, बल्कि उन्हें ईवी के भीतर ही सॉफ्टवेयर और सेंसर के जरिये प्रबंधित करने की भी जरूरत होती है।
बाउंस के सह-संस्थापक और मुख्य तकनीकी अधिकारी वरुण अग्नि कहते हैं कि सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बातों में से एक है सेल का खराब प्रबंधन। बैटरी प्रबंधन प्रणाली (बीएमएस) का मुख्य कार्य इस बात का नियंत्रित करना है कि वे कितनी तेजी से चार्ज होते हैं और वे कितने लोड तथा तापमान में काम करते हैं। बीएमएस यह सुनिश्चित करती है कि ईवी की पावरट्रेन सुरक्षित क्षेत्र में चल रही हो। उदाहरण के लिए बाउंस के इलेक्ट्रिक दोपहिया में दो किलोवाट के पीक लोड वाली मोटर होती है, जबकि इसकी बैटरी लगभग दो तकरीबन किलोवाट घंटे की ऊर्जा का भंडारण कर सकती है। इसका मतलब यह यह है कि कभी भी एक कूलॉम (विद्युत आवेश की इकाई) से ज्यादा का डिस्चार्ज नहीं होता है। इससे ज्यादा होने से बैटरी खराब हो सकती है।

अधिक गर्म होने की दिक्कत
बाउंस के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी विवेकानंद हल्लेकेरे कहते हैं कि आम तौर पर सामान्य नियम यह है कि बैटरी और मोटर की क्षमता समान होनी चाहिए। आम आदमी के शब्दों में अगर मोटर की क्षमता बैटरी की क्षमता से बहुत अधिक होती है, तो लगातार बिजली खिंचती रहती है और इससे अधिक गर्म होने जैसी समस्या हो सकती है।
विशेषज्ञों ने अनुभव किया कि हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अच्छी बैटरी होना महत्त्वपूर्ण होता है, लेकिन कुछ ईवी कंपनियां कम जीवनकाल वाले सस्ती और खराब-गुणवत्ता वाले सेल का इस्तेमाल करते हुए इसकी अनदेखा कर देती हैं। ग्राहकों के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को ज्यादा लुभावना बनाने के लिए फास्ट-चार्जिंग के इस्तेमाल का चलन एक और चिंता की बात है।
हल्लेकेरे बताते हैं ‘फास्ट-चार्जिंग से बचना चाहिए, क्योंकि बहुत थोड़-से वक्त में बहुत ज्यादा ऊर्जा देने से बैटरी खराब होने की आशंका रहती है। अपनी चार्जिंग के मामले में हम कभी भी असुरक्षित क्षेत्र में नहीं जाते और इसे 0.5 कूलॉम के स्तर पर करते हैं। यहां तक कि एक या दो कूलॉम भी ठीक है, लेकिन फास्ट-चार्जिंग आम तौर चार कूलॉम से अधिक स्तर पर होती है।’
इसके विपरीत वाला विचार यह है कि हालांकि फास्ट चार्जिंग से बैटरी के जीवनकाल पर असर पड़त सकता है, लेकिन इससे आग लगने की संभावना नहीं है। एक्सपोनेंट एनर्जी के विनायक कहते हैं ‘जब अनियंत्रित करंट होता है, तो ऐसी चीजें तब होती है और शॉर्ट सर्किट के परिणामस्वरूप ऐसा होता है। यहां तक कि अगर आप 200 एम्पीयर भी करंट खींच लें, तो भी इससे तापमान बेकाबूल नहीं होगा।’

कोई सटीक  जवाब नहीं
लेकिन अगर सेल में शॉट सर्किट हो और करंट बिना किसी प्रतिरोध के वैकल्पिक पथ से गुजर रहा हो, तो बेकाबू करंट होता है, जिससे आग लग सकती है। इस वजह से ईवी बैटरियों को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि सेलों के बीच में पर्याप्त जगह हो, ताकि अगर उनमें से एक या दो सेल किसी शॉर्ट सर्किट से प्रभावित हो जाएं, तो भी यह पूरी बैटरी में न फैले।
विनायक कहते हैं कि पैकेजिंग वगैरह की मोटाई कितनी होनी चाहिए, इसका कोई सटीक जवाब नहीं है। अपनी बैटरी पर दबाव की जांच करना, जांच करते हुए इस सीमा तक पहुंचा देना और इस उद्देश्य के लिए उन्हें फूंक देना ही एकमात्र रास्ता होता है। ऐसा इस वजह से है, क्योंकि बाजार में उपलब्ध प्रत्येक सेल को काफी अलग-अलग तरह से डिजाइन किया जाता है और इस वजह से अलग-अलग सक्रियता और सीमाएं हो सकती हैं।

First Published : April 18, 2022 | 1:00 AM IST