गैर-जीवन  बीमा उद्योग ने सरकार की मदद के बगैर कोविड संबंधित स्वास्थ्य दावों पर  करीब 30,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया और आखिरकार उद्योग द्वारा वहन ऐसे  दावों के खर्च से बीमा प्रीमियम में इजाफा हो सकता है, बशर्ते कि सरकार  प्रीमियम पर जीएसटी घटाने या ऊंचे हेल्थकेयर खर्च की समस्या को दूर करने  जैसी चिंताओं पर गंभीरता से ध्यान नहीं देती है। बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई  समिट फॉर जनरल इंश्योरर्स-इंश्युरिंग द इंश्योरर्स में विशेषज्ञों ने ये  विचार प्रकट किए।  
सम्मेलन  में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी भार्गव  दासगुप्ता ने कहा, ‘स्वास्थ्य बीमा या कोई भी बीमा छोटे प्रीमियमों पर  केंद्रित है, जिसका इस्तेमाल कुछ बड़े दावों के भुगतान में किया जाता है।  धारणात्मक तौर पर, महामारी बीमा योग्य नहीं है। लेकिन उद्योग के तौर पर हम  समाज का समर्थन करेंगे।’
भार्गव  के विचार पर सहमति व्यक्त करते हुए बजाज आलियांज के प्रबंध निदेशक एवं  मुख्य कार्याधिकारी तपन सिंघल ने कहा, ‘सरकार को बीमा प्रीमियम पर जीएसटी  घटानी चाहिए। प्रीमियम बढ़ रहा है, क्योंकि क्लेम में भी इजाफा हो रहा है।  जब हम राष्ट्रीय ब्याज या उपभोक्ता ब्याज की बात करें तो 18 प्रतिशत की दर  क्यों वसूली जानी चाहिए।’
स्टार  ऐंड अलायड हेल्थ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक आनंद रॉय ने कहा, ‘हम संबद्घ  पक्ष – हेल्थकेयर ऑपरेटरों (जो नियामक से जुड़े हुए नहीं हैं) के साथ  संघर्ष कर रहे हैं। वहीं यह ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सभी कंपनियों को लोगों  को व्यापक हित के लिए आगे आना होगा, क्योंकि हमने लोगों से अधिक वसूली की  अवांछित कोशिशों में इजाफा देखा है और उसके परिणामस्वरूप बीमा कंपनियों को  नुकसान हुआ है। हेल्थकेयर तंत्र में कुछ अनुशासन लाए जाने की जरूरत होगी।’
रिलायंस  जनरल इंश्योरेंस के मुख्य कार्याधिकारी राकेश जैन ने कहा, ‘बीमा कंपनियां  कठिन समय में लोगों के साथ खड़ी रही हैं और इसके लिए हितधारकों से भारी  जुर्माना भी वसूलती रही हैं। सामान्य बीमा कंपनियां कुछ मजबूती दर्ज कर  सकती हैं, क्योंकि उनके व्यवसाय ज्यादा विविधीकृत हुए हैं।’ उन्होंने कहा,  ‘बड़ा लक्ष्य लोगों को बीमा से जोडऩा, उन्हें अच्छी गुणवत्ता की स्वास्थ्य  देखभाल सेवा प्रदान करना है और इस प्रयास में बीमा कंपनियों के पास अच्छी  व्यवस्था होनी चाहिए। इसलिए प्रीमियम वृद्घि को लक्ष्यों से जोड़ा जाना  चाहिए, और इसे अलग तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए।’ नए जमाने की डिजिटल  बीमा कंपनियों से मिल रही प्रतिस्पर्धा के बारे में सिंघल ने कहा कि उनका  मानना है कि ये नई कंपनियां ऐसा नहीं कर रही हैं जो इस उद्योग में एकदम नया  हो। पारंपरिक कंपनियों ने अपने डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में सिर्फ महामारी  की वजह से बदलाव नहीं किया है, हालांकि महामारी ने इस प्रक्रिया में तेजी  लाने में मदद की है।