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केंद्रीय बैंक जल्द लाए डिजिटल मुद्रा: गर्ग

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:03 AM IST

पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की राय है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) लाने की प्रक्रिया तेज करनी चाहिए या फिर उसे अन्य देशों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय डिजिटल करेंसी लाने का प्रयास करना चाहिए। गर्ग मानते हैं कि डिजिटल डॉलर को दुनिया की प्रभावी डिजिटल मुद्रा नहीं बनने देना चाहिए।

बिज़नेस स्टैंडर्ड के कार्यक्रम ‘बीएस-बीएफएसआई’ के दूसरे दिन मुख्य वक्ता के रूप में गर्ग इस विषय पर अपनी राय रख रहे थे कि क्या क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार करने का वक्त आ चुका है? उन्होंने माना कि भविष्य डिजिटल मुद्रा का है और वे तकनीकी रूप से मजबूत हैं लेकिन उन्होंने निजी क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य में प्रासांगिक रहने पर आशंका भी जताई।

उन्होंने कहा, ‘आज नहीं तो कल सरकारें भी डिजिटल मुद्रा शुरू करेंगी। एक बार आधिकारिक डिजिटल मुद्रा शुरू होने के बाद स्टेबल कॉइंस समेत अधिकांश निजी करेंसी नदारद हो जाएंगी।’ स्टेबल कॉइंस ऐसी क्रिप्टोकरेंसी है जिसकी कीमत डॉलर जैसी वास्तविक मुद्रा से संबद्ध रहती है। ऐसे में बिटकॉइन के उलट उनमें अटकलबाजी की गुंजाइश कम रहती है लेकिन वे निजी मुद्रा हैं जो व्यवस्थागत चुनौती प्रस्तुत करती है।

भारत समेत कई देश अपनी सीबीडीसी विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं और गर्ग के मुताबिक इसे मौजूदा मॉडल के अलावा अलग तरह से भी तैयार किया जा सकता है। गर्ग ने कहा, ‘हमें सीबीडीसी, थोक, खुदरा आदि के साथ प्रयोग करने के बजाय बहुत आसान एवं सीधी डिजाइन बनानी चाहिए। इसके दो बड़े विकल्प उपलब्ध हैं- आप वही चीज इस्तेमाल कर सकते हैं, जो आपने अब तक की है। अपनी मुद्रा या नकदी को डीमटीरियलाइज करें। इससे रुपया डीमटीरियलाइज हो जाएगा और डिजिटल रूप में सभी लेनदेन की मंजूरी दी जाए।’ उन्होंने कहा कि थोक के लिए सरकार और आरबीआई अन्य क्रिप्टोकरेंसी चाह सकते हैं, लेकिन दो मुद्राएं रखना शायद अच्छा विचार साबित नहीं हो।

पूर्व वित्त सचिव ने कहा कि भौतिक मुद्रा या नोट बने रहेंगे क्योंकि भारत जैसे देश में एक साथ बदलावों को लागू करना मुश्किल है। गर्ग ने कहा कि क्रिप्टो प्लेटफॉर्म असल में भविष्य हैं। गर्ग ने एक बार क्रिप्टोकरेंसी पर अंतर-मंत्रालय समिति की अगुआई की थी। उन्होंने कहा, ‘यह तकनीक सबसे ज्यादा बहु-उद्देश्यीय है। यह ज्यादा प्रतिस्पद्र्घी और ज्यादा कुशल है। इन प्लेटफॉर्मों का वजूद बना रहेगा और हमें उस तकनीक को स्वीकार करना चाहिए। हमें इसे अपनाना चाहिए और इसे आगे बढ़ाना चाहिए।’

हालांकि क्रिप्टोकरेंसी की वास्तविक समस्या यह है कि इनका मूल्य कैसे तय हो। इसके साथ ही ये प्लेटफॉर्म उस करेंसी में हर इनपुट को शामिल करते हैं, जिसे वे होस्ट करते हैं। इससे एक करेंसी का दूसरी करेंसी के साथ लेनदेन मुश्किल हो सकता है। बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी अब महज एक करेंसी नहीं हैं, बल्कि सटोरियों के हाथ में मौजूद परिसंपत्तियां बन गई हैं।

First Published : October 22, 2021 | 11:29 PM IST