महामारी, लॉकडाउन और मंदी से खस्ताहाल कारोबार दीवाली पर फिर पटरी पर आ गया। कोरोना संक्रमण कम होने के साथ ही देश भर में शादी-ब्याज और धार्मिक तथा सामाजिक आयोजनों पर लगी पाबंदियों में ढील मिलते ही लोग बाजारों में उमड़ पड़े। मुंबई और महाराष्ट्र के प्रमुख बाजारों में कपड़ा, सराफा, हीरा, बर्तन, मेवों का बाजार कोरोना से पूरी तरह उबर गया। मुंबई के बाजारों में उमड़ती भीड़ देखकर तो लगा ही नहीं कि कोरोना का रत्ती भर डर बचा है। बर्तनों की दुकान हो या ज्वैलरी शोरूम, शॉपिंग मॉल हों या वाहन के शोरूम, सभी के पास ग्राहक थे और बेहतरीन ऑफर भी। मगर दाम पिछले साल से अधिक रहे।
कपड़ा बाजार का दर्द खत्म
कपड़ा कारोबारी तो इस त्योहार पर मांग ही पूरी नहीं कर पाए। कपड़ा कारोबारियों की प्रमुख संस्था भारत मर्चेंट चैंबर के सचिव नीलेश व्øास ने बताया कि कपास और धागे के दाम बढऩे के कारण सभी तरह के कपड़ों के दाम 30 फीसदी तक बढ़ गए। इसके बाद भी मांग कोरोना से पहले के आंकड़ों पर पहुंच गई। पिछले साल के मुकाबले 30-40 फीसदी ज्यादा मांग होने के कारण कारोबारियों के पास स्टॉक ही नहीं बचा। रेडीमेड परिधान के निर्माता और विक्रेता बेबी क्रिएशन के मालिक संदीप दोषी ने बताया कि गुजरात से कपड़ों की आपूर्ति बहुत कम हो जाने और हर दिन कपड़ा महंगा होने के कारण परिधान तैयार करना बहुत मुश्किल हो गया है। बाजार में कई साल बाद ऐसी मांग दिखी है मगर कपड़ों की आपूर्ति नहीं होने के कारण मांग पूरा करना मुश्किल हो गया है।
कपड़े की कमी की प्रमुख वजह सूरत में कपड़ा मिलों की बंदी है। कीमतों में भारी उतारचढ़ाव देखकर वहां की कपड़ा मिलों ने दीवाली पर एक महीने की छुट्टी का फैसला किया है। साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के सचिव विशाल बुधिया ने बताया कि 1 नवंबर से 30 नवंबर तक दीवाली की छुट्टी रखी जा रही है। इसके साथ ही जॉबचार्ज भी 20-25 फीसदी बढ़ा दिया गया है। कपड़ा कारोबारियों के मुताबिक स्टॉक दीवाली पर ही निपट जाने और उत्पादन बंद होने से बाजार में कपड़े की किल्लत होगी और शादी-ब्याह में मांग बढऩे से दाम भी चढ़ेंगे।
बहरहाल कई साल से परेशान लूम कारोबारियों के लिए दीवाली बढिय़ा रही। भिवंडी के लूम कारोबारियों ने बताया कि पिछले साल बमुश्किल 40 फीसदी लूम चालू थे मगर इस बार सभी लूम दोनों पाली में काम कर रहे हैं। लागत बढऩे से दाम 50 फीसदी चढऩे के बाद भी मांग अच्छी है और धागे की कीमतों में अचानक घटबढ़ रुक जाए तो कारोबार बेहद शानदार रहेगा।
मिठाई भी जमकर खाई
मुंबई के बड़े मिठाई विके्रताओं के लिए माल तैयार करने वाले मिठाई कारखाना मालिकों ने बताया कि पिछले कुछ साल से मिठाई की मांग कम हुई है। ऐसे ही कारखाने के मालिक नवीन पाठक ने बताया कि थोक बिक्री कम हुई मगर खुदरा दुकानों पर बिक्री में कोई कमी नहीं है। पिछले साल के मुकाबले थोक और खुदरा बिक्री ज्यादा है मगर 2019 के मुकाबले खुदरा बिक्री ज्यादा एवं थोक कम रही। घाटा कम करने के लिए मिठाई विक्रेताओं ने मार्जिन बढ़ा दिया है, इसलिए दुकानों में मिठाई पिछले साल से 30 फीसदी महंगी बिक रही है, जौकि कारखानों में दाम केवल 10 फीसदी बढ़े हैं।
पटाखे भी खूब बजे
पटाखा कारोबारियों के मुताबिक पाबंदियों के बावजूद इस बार कारोबार बेहतर रहा। मुंबई के दादर में पटाखा विक्रेता एमकेशाह फर्म के सुरेश भाई ने बताया कि कुछ हिदायतों के साथ पूरे महाराष्ट्र में पटाखे फोडऩे की इजाजत है, जिस कारण बिक्री पिछले साल से बेहतर है। हालांकि कीमतें ज्यादा नहीं बढ़ीं मगर भाड़ा अधिक होने के कारण पटाखे पिछले साल से 10 फीसदी महंगे रहे। इस बार सरकारी मानकों के मुताबिक हरित पटाखे ही ज्यादा रखे गए और उनकी बिक्री ही ज्यादा रही।
देश में पटाखा उत्पादन के सबसे बड़े केंद्र शिवकाशी के कारोबारी भी दीवाली बेहतर बता रहे हैं। तमिलनाडु फायरवक्र्स ऐंड अमोर्सेस मैन्युफैचरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पी गणेशन ने बताया कि सात राज्यों में पिछले साल से पटाखों पर पाबंदी लगने के कारण करीब 7 करोड़ रुपये का स्टॉक पहले से था। इसलिए इस बार उत्पादन कम हुआ। मगर कच्चा माल और भाड़ा महंगा होने से दाम बढऩे के बावजूद इस दीवाली पर ज्यादा बिक्री हुई।
ऑनलाइन बिक्री पांच गुना!
बाजार और दुकानों में जमकर खऱीदारी हो रही है तो ऑनलाइन कंपनियां भी चांदी काट रही है। इलेक्ट्रॉनिक सामान और गैजेट के अलावा कपड़े, जूते और उपहार भी ऑनलाइन खूब खरीदे जा रहे हैं। एसोचैम के एक सर्वेक्षण के मुकाबले इस बार त्योहार पर ऑनलाइन खुदरा बिक्री पिछले साल के मुकाबले पांच गुना तक बढऩे का अनुमान है। ऑनलाइन खरीद पर 80 फीसदी तक छूट जैसे ऑफर देखकर ऐसा होना लाजिमी भी है।
चीनी नहीं देसी रौनक
दीवाली का त्योहार आते ही मुंबई के क्रॉफर्ड मार्केट और दादर बाजार चीनी सामान से पट जाते थे मगर इस बार बहुत तलाशने पर ही चीन का माल मिला। चीनी उत्पादों की दुकानें इस बार गायब थीं और जहां माल था, वह पिछले साल का था। इसके उलट देसी बाजार में बऽी लाइट, दीपक, मूर्ति और पटाखों की मांग ज्यादा रही, जिनके दाम भी चीनी उत्पादों के करीब ही थे। क्रॉफर्ड मार्केट के कारोबारी संजीव दलाल ने बताया कि कोरोना महामारी और कुछ व्यापारी संघों के बहिष्कार के कारण चीनी उत्पाद बाजार में नहीं आ सके। ग्राहक भी पूछकर देसी माल ही ले रहे हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने इस साल भी चीनी सामान के बहिष्कार का आह्वान किया था। उसका दावा है कि आह्वान के कारण देश के व्यापारियों और आयातकों ने चीन से आयात बंद कर दिया, जिससे इस दीवाली पर चीन को करीब 50,000 करोड़ रुपये का व्यापार घाटा हो रहा है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया के मुताबिक कैट रिसर्च ऐंड ट्रेड डेवलपमेंट के हालिया सर्वेक्षण में देश भर के 20 प्रमुख शहरों में व्यापारियों और आयातकों ने चीन को ऑर्डर ही नहीं दिया। इनमें दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, चंडीगढ़, जयपुर, कोलकाता, पटना, हैदराबाद, भोपाल जैसे बड़े कारोबारी शहर शामिल थे।
वाहनों में चिप का रोड़ा
दीवाली पर बाजार तो गुलजार रहे मगर वाहन डीलर मायूस रहे। गाडिय़ों में इस्तेमाल होने वाले सेमीकंडक्टर यानी चिप की किल्लत से आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित रही है। वाहन डीलरों की संस्था फाडा के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने बताया कि पिछले एक दशक में यह सबसे खराब दीवाली रही। चिप की किल्लत से गाडिय़ां बहुत कम आईं, इसलिए बुकिंग और डिलिवरी की हालत खस्ता रही। ग्रामीण क्षेत्रों से अच्छी मांग पूरी करने में दोपहिया कंपनियां नाकाम रहीं और वाहन डीलरों के यहां 3 महीने से 9 महीने तक की प्रतीक्षा अवधि देखी गई।