अब राज्य बेचारे क्या करें..

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 5:07 PM IST

केन्द्र ही नहीं, राज्य सरकारों के लाखों कर्मचारी भी वेतन में भारी बढ़ोतरी की आस में खुशी से झूम उठे हैं।


राज्यों के कर्मचारियों का मानना है कि केन्द्र सरकार द्वारा छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को मानने के बाद उनके वेतन में भी इजाफा होगा। लेकिन, राज्यों में होने वाली बढ़ोतरी शायद ही केन्द्र सरकार जितनी हो। वैसे भी केन्द्र सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि वेतन में बढ़ोतरी करते समय राज्यों को वेतन आयोग की रिपोर्ट के मुकाबले अपनी मालीहालत का अधिक ख्याल रखना चाहिए।


सूबों के खजानों पर गौर करें तो साफ जाहिर हो जाता है कि वेतनमानों में भारी अंतर रहेगा। हालांकि कई राज्यों ने  अपने वेतन  आयोग का गठन किया है। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब में राज्य सरकारों ने 5वें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार तो कर लिया था लेकिन इनके क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकारों अभी तक जूझ रहीं हैं।


वित्त विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ‘उत्तर प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों तक छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का फायदा पहुंचाने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति का अच्छी तरह से मूल्यांकन करेगी।’ उन्होंने कहा कि 5वें वेतन आयोग की सिफारिशों को 1996 में स्वीकार किया गया था लेकिन उत्तर प्रदेश में इन सिफारिशों को 1999 में जाकर लागू किया जा सका।


सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को सबसे अंत में 2005 में इसका फायदा मिल सका जबकि उत्तर प्रदेश के विभिन्न निगमों और विभागों के 50,000 कर्मचारियों को अभी 5वें वेतन आयोग की सिफारिशों का ही इंतजार है। इस बीच राज्य के कर्मचारी संगठनों ने प्रदेश सरकार से तत्काल राज्य कर्मचारियों के लिए भी वेतन आयोग गठित किए जाने की मांग की है।


उप्र राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश पांडेय ने कहा कि केन्द्रीय वेतन आयोग ने इस बार वेतन में लगभग दो गुनी वृध्दि की है जबकि पिछले वेतन आयोग में तीन गुना वृध्दि की जाती रही है। प्रदेश के वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि अभी तो जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण वेतन आयोग की संस्तुतियां केन्द्र सरकार को दी गई है। रिपोर्ट पर केबीनेट की स्वीकृति के बाद प्रदेश सरकार रिपोर्ट का अध्ययन कर राज्य कर्मचारियों के वेतन पर विचार करेगी।


पश्चिम बंगाल में 5वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जा चुका है लेकिन बकाया वेतन को भविष्य निधि खाते में जोड़ दिया गया। पंजाब ने अपने खुद के वेतन आयोग का गठन किया है। इसकी रिपोर्ट इस साल अक्टूबर-नवंबर में सौंपी जाएगी। राज्य वेतन आयोग कि सिफारिशें कुछ भी हों लेकिन राज्य की वित्तीय हालात देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार ज्यादा कुछ देने की स्थिति में नहीं है।


पंजाब सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2006-07 के दौरान वेतन, पेंशन और ब्याज के भुगतान जैसे प्रतिबद्ध व्यय की मद पर किया गया कुल खर्च कुल राजस्व प्रप्तियों के मुकाबले 80 प्रतिशत अधिक था। हरियाणा ने छठे वेतन  आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया है। राज्य के वित्त मंत्री बीरेन्द्र सिंह ने सिफारिशों को लागू करने के लिए बीते सप्ताह पेश किए गए बजट में 1,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।


उड़ीसा की वित्तीय स्थिति भी कमोबेश बहुत अच्छी नहीं है, हालांकि राज्य ने छठे वेतन आयोग को लागू करने की बात कही है। अगले वित्त वर्ष के दौरान राज्य सरकार द्वारा वेतन भुगतान की मद में किया जाने वाला खर्च 30 से 35 प्रतिशत बढ़कर करीब 1,800 करोड़ रुपये हो जाएगा। वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान यह आंकड़ा 5335.47 करोड़ रुपये था। अधिकारियों ने हालांकि साफ किया कि संशोधित वेतन पैकेज को पूरी तरह से लागू करने में 2 से 3 साल का समय लग जाएगा।


मध्य प्रदेश सरकार ने केन्द्रीय वेतन आयोग के मद्देनजर कोई विशेष योजना नहीं तैयार की है। सरकार अपने वेतन आयोग की सिफारिशों का इंतजार कर रही है। इस वेतन आयोग का गठन बीते माह किया गया था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी राज्य के वेतन आयोग के गठन की घोषणा की है। लेकिन सरकार को अभी इसके उद्देश्य और कामकाज तय करने हैं।


छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ  के अध्यक्ष सुभाष मिश्र ने कहा कि मुख्यमंत्री से साफ किया है कि ‘इस आयोग का छठे वेतन आयोग से कोई संबंध नहीं होगा और इसकी स्थापना राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन में विसंगतियों को दूर करने के लिए की गई है।’ उन्होंने कहा कि चूंकि राज्य (अविभाजित मध्य प्रदेश) से 5वें वेतन आयोग को लागू किया था, इसलिए छत्तीसगढ़ भी ऐसा ही करेगा।


महाराष्ट्र में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की मद में किए जाने वाले खर्च में सालाना करीब 4,500 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। राज्य सरकार ने हालांकि बीते दिनों पेश किए गए बजट में आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।


राज्य कर्मचारी संघ के एक प्रमुख अधिकारी ने कहा कि बजट प्रावधान के बावजूद यदि राज्य सरकार वेतन आयोग की सिफारिशों को 1 जनवरी, 2006 से लागू करना चाहती है तो उसे आने वाले वित्त वर्ष के दौरान विकास कार्यो के लिए किए जाने वाले खर्च में कटौती करनी होगी। आंघ्र  प्रदेश ने भी अपने वेतन आयोग का गठन किया है। राज्य आयोग की सिफारिशों की समीक्षा पांच वर्षो के अंतराल पर की जाती है।

First Published : March 26, 2008 | 11:35 PM IST