facebookmetapixel
Gold-Silver Outlook: सोना और चांदी ने 2025 में तोड़े सारे रिकॉर्ड, 2026 में आ सकती है और उछालYear Ender: 2025 में आईपीओ और SME फंडिंग ने तोड़े रिकॉर्ड, 103 कंपनियों ने जुटाए ₹1.75 लाख करोड़; QIP रहा नरम2025 में डेट म्युचुअल फंड्स की चुनिंदा कैटेगरी की मजबूत कमाई, मीडियम ड्यूरेशन फंड्स रहे सबसे आगेYear Ender 2025: सोने-चांदी में चमक मगर शेयर बाजार ने किया निराश, अब निवेशकों की नजर 2026 पर2025 में भारत आए कम विदेशी पर्यटक, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया वीजा-मुक्त नीतियों से आगे निकलेकहीं 2026 में अल-नीनो बिगाड़ न दे मॉनसून का मिजाज? खेती और आर्थिक वृद्धि पर असर की आशंकानए साल की पूर्व संध्या पर डिलिवरी कंपनियों ने बढ़ाए इंसेंटिव, गिग वर्कर्स की हड़ताल से बढ़ी हलचलबिज़नेस स्टैंडर्ड सीईओ सर्वेक्षण: कॉरपोरेट जगत को नए साल में दमदार वृद्धि की उम्मीद, भू-राजनीतिक जोखिम की चिंताआरबीआई की चेतावनी: वैश्विक बाजारों के झटकों से अल्पकालिक जोखिम, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूतसरकार ने वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी, ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर रोक

तांगेवालों ने मांगी ‘नवाबी सवारी’

Last Updated- December 07, 2022 | 8:42 PM IST

विकास की बयार हर किसी के लिए अच्छी नहीं होती है। दिल्ली के तांगेवाले इस हकीकत को अच्छी तरह से समझते हैं।


कभी शान की सवारी कही जाने वाली दिल्ली की घोड़ागाड़ी अब अपने अवसान के दौर से गुजर रही है। घोड़ागाड़ी के लिए कम सवारी और मामूली मुनाफे की वजह से ही अब कमाई के नए जरिए तलाश रहे हैं।

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास 1942 में स्थापित कौड़िया पुल तांगा स्टैंड के ठेकेदार रामचंद्र तोमर ने कहा कि ‘पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को दिल्ली के ऐतिहासिक स्थानों पर बग्घी चलाने की इजाजत देनी चाहिए।’

उन्होंने बताया कि ‘उत्तर प्रदेश में पर्यटन मंत्रालय ने ‘नवाबी सवारी’ नाम से एक योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत पर्यटकों से 300 रुपये लेकर रेजीडेंसी, इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा और चौक की सैर कराई जाती है। दिल्ली सरकार को भी पुरानी दिल्ली इलाके में ऐसी ही योजना की शुरुआत करनी चाहिए।’

उन्होंने बताया कि कि आज से करीब 35 साल पहले दिल्ली में 9000 तांगे थे लेकिन अब मुश्किल से 500 तांगे बचे होंगे।’ तोमर ने बताया कि पहले उन्हें बाहर से आने वाले पर्यटकों या फिर शादियों के मौसम में अच्छी कमाई होती थी लेकिन वह जमाना खत्म हो गया है और अब तो जंतर-मंतर, संसद मार्ग, तीन मूर्ति, बिड़ला मंदिर, इंडिया गेट आदि इलाकों में जाने पर रोक लगा दी गई है।

दिल्ली में कौड़िया पुल, सदर बाजार, कुतुबरोड, तुर्कमान गेट, घंटाघर, कश्मीरी गेट सहित पुरानी दिल्ली के कुछ इलाकों में ही तांगा स्टैंड बने हुए हैं। इनकी भी हालत बद से बदतर हो गई है। पिछले 25 सालों से तांगा चला रहे लख्खो ने बताया, ‘यहां स्टैंड तो है लेकिन सर पर छत नहीं है। बरसात में हमें और हमारे घोड़ों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।’

आज से 30-35 साल पहले दिल्ली के नंद नगरी, आश्रम, मोतीनगर, सीलमपुर, वेलकम और कैंप चौक इलाकों में भी तांगा स्टैंड हुआ करता था लेकिन अब उसे बंद कर दिया गया है। तांगा चालक मोहम्मद सईद ने बताया कि आम तौर पर तांगेवाले दिन भर में 250 रुपये कमाते हैं, और खर्च निकालकर सिर्फ 100 रुपये की बचत हो पाती है।

First Published - September 10, 2008 | 10:21 PM IST

संबंधित पोस्ट