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बिहार में छिड़ी सर्वशिक्षा अभियान की तान

Last Updated- December 07, 2022 | 6:40 PM IST

बिहार में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और बालश्रम से मुक्ति की दिशा में चलाए जा रहे अभियान की तारीफ चारों तरफ की जा रही है।

हालांकि बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में बिहार का अतीत काफी नाकामयाबी भरा रहा है। लेकिन इस नाकामी को जिस तत्परता से दूर करने की कोशिश की जा रही है, निश्चित तौर पर वह काबिले तारीफ है।

एक समय था, जब विद्यालय नहीं जाने वाले बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या बिहार में हुआ करती थी, लेकिन सर्वशिक्षा अभियान के तहत राज्य सरकार ने अपनी छवि सुधारने की पूरी कोशिश की है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस संबंध में बिहार सरकार की तारीफ की है। आयोग ने कहा है कि शिक्षा के अधिकार और बालश्रम को खत्म करने में जिस प्रकार की प्रतिबद्धता बिहार ने दिखाई है, उससे अन्य राज्यों को सबक लेनी चाहिए।

आयोग की अध्यक्ष शांता सिन्हा ने कहा कि राज्य में सर्वशिक्षा अभियान निश्चित तौर पर काफी सफल नजर आ रहा है। उन्होंने पटना की कमलानगर और जमुई में चलाए जा रहे आवासीय ब्रिज कोर्स शिविरों को दौरा किया और उसके बाद कहा कि बिहार ने इस दिशा में सराहनीय कदम उठाए हैं।

इन शिविरों में लगभग 70 हजार बच्चे पठन-पाठन कर रहे हैं। यह ब्रिज कोर्स सर्वशिक्षा अभियान के तहत चलाया जाता है। इसके अंतर्गत बच्चों को बुनियादी जानकारियां उपलब्ध कराई जाती है। ब्रिज कोर्स पूरा करने के बाद इन बच्चों का दाखिला स्कूलों में कराया जाता है।

उसके बाद ये बच्चे पढ़ाई की मुख्यधारा में शामिल हो जाते हैं। इस ब्रिज कोर्स में उन बच्चों को शामिल किया जाता है, जो बालश्रम के दंश से पीड़ित रहते हैं। उन्हें शिक्षा प्रदान करने और समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए ब्रिज कोर्स की व्यवस्था की जाती है।

उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षा के अधिकार से रू-ब-रू कराने और बालश्रम से मुक्ति देने की इससे बेहतर युक्ति नहीं हो सकती है।

First Published - August 24, 2008 | 10:11 PM IST

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