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दूसरी श्वेत क्रांति की गवाह बनेंगी भैंसें

Last Updated- December 07, 2022 | 5:04 PM IST

आने वाले सालों में मवेशियों के बीच भैंसों (ब्लैक काऊ) की संख्या सबसे अधिक हो जाए तो आश्चर्य की बात नहीं।


नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीटयूट (एनडीआरआई) इन दिनों भैंसों के अंडाणु (ओवुलेशन) को विकसित करने के साथ उनके गर्भधारण की दर को बढ़ाने के लिए शोध कर रहा है। भारत सरकार व विश्व बैंक के साझा कार्यक्रम के तहत हो रहे इस शोध के जरिए भैंसों के लचर अंडाणु के लिए जिम्मेदार जीन का पता लगाया जा रहा है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक इस शोध में सफलता से भैंसों की संख्या बढ़ने के साथ उसके शुष्क दिनों (जब भैंस दूध नहीं देती है) के अंतराल में भी कमी आएगी। लिहाजा, दूध का उत्पादन बढ़ जाएगा पर लागत में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होगी। वर्ष 2021-22 तक भारत में 17.20 करोड़ टन दूध की मांग होगी। वर्ष 2006-07 में दूध का उत्पादन 10.89 करोड़ टन था।

एनडीआरआई के वैज्ञानिकों के मुताबिक 20 साल पहले गायों के मामले में क्रास-ब्रिडिंग कराया गया, लेकिन भैंस पर कोई शोध नहीं हुआ। भैंस पर ध्यान देना इसलिए जरूरी है कि इसके रखरखाव पर कोई खास खर्च नहीं होता। गाय के मुकाबले भैंस पर आने वाली लागत काफी कम होती है।

एनडीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक टी के दत्ता कहते हैं, ‘इस शोध का उद्देश्य जानवरों की संख्या को कम कर दूध के उत्पादन को बढ़ाना है। हम लोग इसलिए ज्यादा दूध का उत्पादन करते हैं क्योंकि हमारे यहां मवेशियों की संख्या अधिक है।’ विश्व के कुल मवेशियों में से 12 फीसदी भारत में है और दूध उत्पादन विश्व उत्पादन का 16 फीसदी है।

अमेरिका में मवेशियों की संख्या विश्व की मात्र 4-5 फीसदी है जबकि वहां विश्व के 11 फीसदी दूध का उत्पादन होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक शोध में सफलता मिलने पर ब्लैक काऊ के ड्राई-डे का भी अंतराल कम हो जाएगा। दत्ता कहते हैं, ‘जब ब्लैक काऊ बच्चे अधिक पैदा करेंगी तो अपने आप ड्राइ-डे कम हो जाएगा। मवेशी अपने बच्चों के लिए ही तो दूध देती है।’

उनके मुताबिक अभी भैंस अपने जीवन काल में 7-8 बच्चे पैदा करती हैं। शोध पूरा होने के बाद यह संख्या 10-12 हो जाएगी। वर्ष 2003 में दूध देने वाली भैंसों की संख्या 5.1 करोड़ थी। शोध में जुटे वैज्ञानिक कहते हैं कि दूध के उत्पादन में नंबर एक बने रहने के लिए भैंसों पर ध्यान देना जरूरी है। गाय की तरह भैंसों के साथ भी क्रास-ब्रीडिंग हो सकता था, लेकिन यह इसका सही इलाज नहीं है। भैंसों के मामले में एक खासियत यह भी है कि अच्छी नस्ल की भैंस भारत व पाकिस्तान में ही पाई जाती हैं।

First Published - August 17, 2008 | 10:55 PM IST

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