भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) और वेंचर कैपिटल फंडों (वीसीएफ) के लिए विदेशी निवेश नियमों को सख्त कर दिया है। सभी एआईएफ और वीसीएफ को सेबी द्वारा निर्दिष्ट प्रारूप में विदेशी निवेश सीमा के आवंटन के लिए बाजार नियामक के समक्ष आवेदन-पत्र दाखिल करना होगा।
इसके अलावा ऐसे फंडों को केवल उस देश में निगमित विदेशी कंपनी में निवेश करने की ही अनुमति होगी, जिसके प्रतिभूति बाजार नियामक ने इंटरनैशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ सिक्युरिटीज कमिशन के बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हों। वैकल्पिक रूप में वह नियामक सेबी के साथ द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन का हस्ताक्षरकर्ता भी हो सकता है। इसके अलावा रणनीतिक धन-शोधन रोधी या आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने वाले अधिकार क्षेत्र से बाहर की कंपनियों में निवेश पर रोक लगा दी गई है।
सेबी ने कहा है कि अगर कोई एआईएफ/वीसीएफ पहले किसी विदेशी निवेश वाली कंपनी में किए गए निवेश का समापन कर देता है, तो ऐसे परिसमापन से प्राप्त लाभ उक्त विदेशी निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी में किए गए निवेश की सीमा तक सभी एआईएफ/वीसीएफ (बिक्री वाली एआईएफ/वीसीएफ सहित) के वास्ते पुनर्निवेश के लिए उपलब्ध होगा।
एआईएफ/वीसीएफ को विनिवेश के तीन कार्य दिवस के भीतर विदेशी निवेश की बिक्री का विवरण प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया है। इसके अलावा ऐसे फंडों द्वारा अब तक किए गए विदेशी निवेश के विनिवेश का खुलासा 30 दिनों के भीतर सेबी के समक्ष करना होगा।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश करने के मामले में सेबी के नवीनतम निर्देश से और अधिक नियंत्रण एवं संतुलन आएगा। इससे धन की संभावित राउंड-ट्रिपिंग पर भी अंकुश लगेगा।
वर्तमान में एआईएफ उद्योग को विदेशों में अधिकतम 1.5 अरब डॉलर निवेश करने की ही अनुमति प्रदान की गई है। इस सीमा का पूरी क्षमता पर इस्तेमाल होने वाला है। हाल ही में एआईएफ उद्योग के भागीदारों ने नियामकों से अपनी विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था। जून 2022 के आखिर में एआईएफ उद्योग द्वारा प्राप्त निवेश प्रतिबद्धताएं 6.94 लाख करोड़ रुपये रही थी, जबकि जुटाई गई राशि और किया गया निवेश क्रमशः 3.39 लाख करोड़ रुपये और 3.11 लाख करोड़ रुपये रहा था।