एयर इंडिया अंतरराष्ट्रीय यातायात अधिकारों के आवंटन में प्राथमिकता का लंबे समय तक फायदा उठाने में सफल नहीं रहेगी। वह जनवरी में टाटा संस द्वारा किए गए अधिग्रहण पर अमल कर रही है।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एयर इंडिया के संबंध में 19 अप्रैल को जारी संशोधित नियमों में उस खंड को हटा दिया है जो अन्य निजी एयरलाइनों की तुलना में लागू किया गया था। इन नियमों में एयरलाइनों के लिए यातायात अधिकारों, आवंटन, इस्तेमाल के लिए प्रक्रिया, गैर-इस्तेमाल पर जुर्माने आदि की अनिवार्यता है। पिछले नियम में कहा गया, ‘अन्य पात्र आवेदनकों को यातायात अधिकार आवंटित किए जाने से पहले एयर इंडिया द्वारा सौंपी गई परिचालन योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।’
एयर इंडिया के निजीकरण के बाद अब इस खंड को हटा दिया गया है। निजी एयरलाइन के एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘सभी एयरलाइनों को अब एक समान अधिकार हासिल होंगे।’ सरकारें एक-दूसरे के साथ द्विपक्षीय वायु सेवा समझौतों पर बातचीत करती हैं। वे उड़ानों की संख्या और दूरी का निर्धारण करती हैं जिन पर एयरलाइनें दो देशों के बीच अपना परिचालन कर सकें। प्रति सप्ताह सीटों या उड़ानों की संख्या से संबंधित ये अधिकार पारस्परिक आधार पर आदान-प्रदान किए जाते हैं। भारत में इन अधिकारों को सरकार का समर्थन हासिल है और अनुरोध के आधार पर एयरलाइन को मुहैया कराए जाते हैं। भारत ने 121 देशों के साथ विमान सेवा समझौते किए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दुबई, अबू धाबी, शारजाह और रास अल-खैमा के साथ अलग समझौते किए हैं, हालांकि वे संयुक्त अरब अमीरात का हिस्सा हैं।
महामारी से पहले भारत करीब 55 देशों के साथ नॉन-स्टॉप उड़ानों के साथ जुड़ा हुआ था। यह संख्या इस बार गर्मी के मौसम में घट गई है, जो मार्च से प्रभावी है। एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस ने समर शिड्यूल यानी गर्मी के मौसम में उड़ानों के लिए प्रति सप्ताह 361 और 340 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भेजने के लिए मंजूरी हासिल की। इनमें एशिया के अंदर और ऑस्ट्रेलिया, यूरोप तथा उत्तर अमेरिका के लिए उड़ानें शामिल हैं। रूस के लिए उड़ानें विमान बीमा से संबंधित पैदा हुईं समस्याओं को लेकर हाल में रोक दी गई थीं। एयर इंडिया को इस मुद्दे पर भेजे गए ईमेल संदेश का कोई जवाब नहीं मिला है।