कम से कम चार ब्रोकिंग फर्मों ने चौथी तिमाही के नतीजे घोषित करने की तारीख फिलहाल टाल दी है।
ये फर्में हैं रेलिगेयर एंटरप्राइसेस, एल्डवायस कैपिटल, एमके शेयर्स और स्टॉक ऐंड माडर्न सेक्योरिटीज। बीएसई को दी सूचना में इन फर्मों ने कहा है कि वो अपने ऑडिटेड नतीजे तीन महीनों के अंदर 30 जून या फिर उससे पहले घोषित करेंगे। कानूनन कंपनियां अपने चौथी तिमाही के नतीजों का ऐलान टाल सकती हैं और सीधे ऑडिटेड नतीजों का ऐलान कर सकती हैं।
इंवेस्टमेंट एडवाइजर एसपी तुल्सयान के मुताबिक ये फर्में निवेशकों को झटका देने में थोड़ी और देरी करना चाहती हैं। हाल में प्राइम सेक्योरिटीज के लॉस प्रोवीजनिंग और जियोजित फाइनेंशियल के मुनाफे में आई गिरावट से साफ है कि इस तिमाही में बडी ब्रोकिंग फर्मों को खासी झटका लगना है। एक्सचेंजों का कारोबार करीब 50 फीसदी तक घट गया है जिसका नुकसान इन फर्मों को झेलना पड़ रहा है, इसके अलावा इन फर्मों के क्लायंट्स को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है।
लिहाजा ये फर्म अपनी बैलेंस शीट को ठीक करने के लिए थोड़ा और समय चाहती हैं ताकि वो डूबे हुए कर्जों से उबर सकें और अपने खातों को ठीक कर सकें। इस साल में ही बाजार करीब 6000 अंक गिर चुका है और मिडकैप और स्माल कैप स्टॉक्स की पूंजी 50 फीसदी तक साफ हो चुकी है। अब चूंकि क्लायंट्स को इन्ही स्टॉक्स के आधार पर मार्जिन फंडिंग होती है, इसलिए उनकी ओर से डिफॉल्ट की खबरें भी काफी है।
इस कारण इनमें से कई ब्रोकरों ने अपने क्लायंट्स की संपत्ति भी जब्त कर ली है। जियोजित और प्राइम सेक्योरिटीज ने अपने इस नुकसान के लिए क्रमश: 4 और 6 करोड़ रुपए की प्रोवीजनिंग की है। एल्डवायस कैपिटल के एमडी राशेश शाह ने नतीजों में देरी के लिए कहा कि यह उनकी फर्म की पॉलिसी है, हमे न तो कोई नुकसान हुआ है और ना ही हम कोई प्रोवीजनिंग कर रहे हैं।
तुल्सयान के मुताबिक जो ब्रोकर प्रोप्राइटरी बुक्स पर ट्रेड करते हैं उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान होना है और लिस्टेड ब्रोकिंग फर्मों में एल्डवायस ऐसा करने वाली सबसे बडी क़ंपनी है। उन्होंने कहा कि यह हैरत की ही बात है कि एल्डवायस ने आईपीओ के जरिए 700 करोड़ रुपए जुटाने के बाद 200 करोड़ रुपए फिर से डेट प्लेसमेंट के जरिए उगाहने का इरादा बनाया है।
इस पर एल्डवायस के शाह ने कहा कि 2000 करोड़ की बैलेंसशीट में हमें स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स की जरूरत है हम उसी के अनुरूप ही यह पैसा उगाह रहे हैं। प्रोप्राइटरी नुकसान की संभावना से इनकार करते हुए उन्होने कहा कि ज्यादातर ब्रोकरेज हाउस ने आर्बिट्राज सौदों का सहारा लिया है जिससे उनको ज्यादा नुकसान होने की गुंजाइश नहीं है। रेलिगेयर, जो रिटेल सेगमेन्ट और क्लायंट फंडिंग में ज्यादा है, का कहना है कि नतीजे बाद में देने का फैसला कार्पोरेट गवनर्ेंस कोड के तहत ही लिया गया है।
फर्म के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक फर्म अपनी सब्सिडियरी कंसॉलिडेट कर रही है और अगले तीन महीनों में अपने नतीजे घोषित कर देगी। एमके शेयर्स के एमडी कृष्ण कुमार कर्वा ने घाटे की प्रोवीजनिंग पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि देरी से नतीजे देना कानून के अनुरूप है। जबकि मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल और रिलायंस कैपिटल अपने नतीजे अप्रैल के आखिरी हफ्ते में घोषित करेंगे। मोतीलाल ओसवाल अपने खातों में 5 करोड क़े प्रोवीजनिंग की बात कह चुका है।