विप्रो के अनुभवी दिग्गज श्रीनि पालिया ने कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी का पदभार संभाल लिया है लेकिन विश्लेषकों को लगता है कि निकट भविष्य में शेयर का कमजोर प्रदर्शन बरकरार रहेगा। उनका मानना है कि बाजार हिस्सेदारी में संभावित नुकसान और मुश्किल भरे कारोबारी माहौल के कारण ऐसा होगा।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा है कि वित्त वर्ष 25 में विप्रो का प्रदर्शन अन्य कंपनियों के मुकाबले कमजोर रह सकता है क्योंकि शएयर के स्वतंत्र विश्लेषण और मीडिया खबरों से पता चलता है कि विभिन्न वर्टिकल में चुनिंदा क्लाइंटों के साथ विप्रो अपनी बाजार हिस्सेदारी गंवा रही है।
मुश्किल भरे माहौल में कारोबार में सुधार और ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। विप्रो को दोहरी चुनौतियों (आंतरिक व बाहरी) से निपटना है। कंपनी का शेयर वित्त वर्ष 2026 ई के ईपीएस के 20 गुना पर कारोबार कर रहा है जो इन्फोसिस के करीब-करीब बराबर और एचसीएल टेक्नोलॉजिज से थोड़ा कम है। बढ़ोतरी के लिहाज से शेयर भाव महंगा है।
शनिवार को विप्रो ने ऐलान किया था कि थियरी डेलापोर्ट ने तत्काल प्रभाव से सीईओ का पद छोड़ दिया है। विश्लेषकों ने कहा कि उनका इस्तीफा आश्चर्यजनक है और कारोबार में सुधार को लेकर उनकी नाकामी बताता है। एक्सचेंजों पर आईटी कंपनी का शेयर सोमवार को कारोबारी सत्र के दौरान 1 फीसदी गिरकर 479 रुपये पर आ गया जबकि बेंचमार्क एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
विश्लेषकों ने कहा कि विभिन्न देशों से अच्छी प्रतिभाएं और लंबे समय तक विप्रो से जुड़े कर्मी विप्रो से जा रहे हैं। इसकी वजह शायद कुछ सांस्कृतिक भिन्नता और संगठन के भीतर जुड़ाव न होना हो सकती है। नई सदी की शुरुआत के बाद से विप्रो से करीब आठ सीईओ के इस्तीफे हो चुके हैं जो भारत की आईटी सेवा फर्मों में सबसे अधिक है। इनमें विवेक पॉल, अजीम प्रेमजी, गिरीश परांजपे और सुरेश वासवानी (संयुक्त सीईओ), टी के कुरियन, आबिद नीमचवाला और अब थियरी डेलापोर्ट शामिल हैं।
इसके अलावा आईटी कंपनी ने साल 2023 में 10 से ज्यादा वरिष्ठ कर्मियों की निकासी देखी है। इनमें चीफ ग्रोथ ऑफिसर स्टेफन ट्रॉटमैन, मुख्य वित्त अधिकारी जतिन दलाल, मुख्य परिचालनअधिकारी संजीव सिंह और कई अन्य शामिल हैं।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट के विश्लेषकों ने कहा कि अनुबंध अवधि से एक साल पहले ही थियरी डेलापोर्ट के इस्तीफे ने चौंकाया है लेकिन यह अनुमान के मुताबिक ही है क्योंकि उनके अनुबंध के नवीनीकरण की उम्मीद नहीं थी। उनके कार्यकाल में कंपनी ने कई वरिष्ठ कर्मियों की निकासी देखी है और बड़ी कंपनियों में उसका प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा है।
विश्लेषकों के मुताबिक नए सीईओ के सामने कई चुनौतियां हैं। इनमें वरिष्ठ कर्मियों को बनाए रखना, अधिग्रहीत कंसल्टिंग पोर्टफोलियो का प्रबंधन और उसमें वृद्धि और कायापलट के लंबे और अधूरे काम को पूरा करना शामिल है।
उदाहरण के लिए 1.45 अरब डॉलर में कैपको का अधिग्रहण थियरी का सबसे बड़ा दांव था। हालांकि यह अधिग्रहण बहुत फायदे का सौदा नहीं रहा। विश्लेषकों ने कहा कि कंसल्टिंग अधिग्रहण भारतीय आईटी के लिए अच्छी तरह से कारगर नहीं रहा है।
रणनीति के तौर पर कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने विप्रो के ग्रोथ प्रोफाइल के लिए मूल्यांकन महंगा बताते हुए इसकी बिकवाली की सलाह दी है और लक्षित कीमत 435 रुपये बताई है। वैश्विक ब्रोकरेज फर्मों नोमुरा और जेफरीज ने भी इस शेयर के लिए निवेश कम करने और अंडरपरफॉर्म रेटिंग बरकरार रखी है और उन्होंने लक्षित कीमतें क्रमश: 410 रुपये व 470 रुपये बताई हैं।
जेफरीज ने कहा, विप्रो के सीईओ का इस्तीफा क्रियान्वयन के मसलों को बताता है। स्वविवेक का खर्च पर दबाव है। ऐसे में आंतरिक कर्मी की नियुक्ति कायापलट व उच्च मूल्यांकन की उम्मीद को सीमित करती है। हमारी राय में नए सीईओ की तहत प्रदर्शन में सुधार धीरे-धीरे हो सकता है।
एमके ग्लोबल के विश्लेषकों का अनुमान है कि श्रीनी को आंतरिक तौर पर बेहतर स्वीकार्यता हासिल होगी और वरिष्ठ कर्मियों की निकासी को रोकने के लिए कदम उठा पाएंगे। ब्रोकरेज ने इस शेयर में और निवेश करने की सलाह के साथ लक्षित कीमत 500 रुपये बताई है।