दिसंबर में सुस्त वृद्धि के बाद जनवरी में जीवन बीमा कंपनियों के नए बिजनेस प्रीमियम (एनबीपी) की वृद्धि में स्थिरता आई है। निजी बीमा कंपनियों के एनबीपी में एक अंक की वृद्धि और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के एनबीपी में कमी आने की वजह से ऐसा हुआ है। एलआईसी का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) आने वाला है।
ओमीक्रोन के कारण महामारी की तीसरी लहर जनवरी में शीर्ष पर रही और ठंड की वजह से भी जीवन बीमा कर्ताओं के प्रदर्शन पर असर पड़ा। साथ ही तमाम बीमाकर्ताओं, खासकर निजी बीमा कंपनियों ने अपनी सावधि योजना के प्रीमियम में इस अवधि के दौरान बढ़ोतरी की है। संभवत: इसका भी असर कारोबार पर पड़ा है। एनबीपी किसी साल के दौरान नई पॉलिसी से आने वाला प्रीमियम होता है।
जनवरी महीने में पूरे उद्योग का एनबीपी पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2.65 प्रतिशत बढ़कर 21,957.04 करोड़ रुपये हो गया है। जनवरी महीने में निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों का एनबीपी 9.4 प्रतिशत बढ़कर 9,020 करोड़ रुपये हुआ है, वहीं सरकारी बीमा दिग्गज एलआईसी के एनबीपी में 1.57 प्रतिशत की कमी आई है और यह 12,936.29 करोड़ रुपये रह गया है।
बीमा कंपनियों के संगठन लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल की ओर से जारी आंकड़ों से यह पता चलता है।
सूचीबद्ध निजी कारोबारियों में एसबीआई लाइफ का एनबीपी 4 प्रतिशत, एचडीएफसी लाइफ का 9 प्रतिशत और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ का एनबीपी 1.4 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं मैक्स लाइफ का एनबीपी इस अवधि में 17 प्रतिशत संकुचित हुआ है। बहरहाल बजाज एलियांज लाइफ का एनबीपी 34.53 प्रतिशत बढ़ा है।
दिसंबर महीने में निजी बीमाकर्ताओं का एनबीपी पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 30 प्रतिशत बढ़कतर 13,032.33 करोड़ रुपये हो गया था, जो एलआईसी के 11,434.13 करोड़ रुपये प्रीमियम से ज्यादा था। एलआईसी के एनबीपी में 20 प्रतिशत गिरावट आई थी, जिसमें ग्रुप सिंगल प्रीमियम में 35 प्रतिशत गिरावट प्रमुख वजह थी। कुल मिलाकर उद्योग का एनबीपी 24,466.46 करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले की तुलना में 0.34 प्रतिशत ज्यादा था।
अक्टूबर दिसंबर तिमाही (वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही) में जीवन बीमा कंपनियों का एनबीपी पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10.45 प्रतिशत बढ़कर 73,249.97 करोड़ रुपये रहा। मुख्य रूप से निजी कंपनियों के एनबीपी में जोरदार वृद्धि की वजह से ऐसा संभव हुआ।