सोरोस को नियामकों पर आया रोष

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 8:43 PM IST

अरबपति उद्योगपति जॉर्ज सोरोस का कहना है कि पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाले ऋण संकट सुलझने के आसार फिलहाल कम हैं बल्कि यह और भी बुरी सूरत अख्तियार करेगा।


सोरोस का मानना है कि वित्त बाजार की इस खराब हालत के लिए अदूरदर्शी नीतियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने अमेरिकी नियामकों की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिकी प्रशासन ने हालात से निपटने के लिए अपनी पूरी ताकत नहीं झोंकी है। सोरोस एक टेलीकांफ्रेस के जरिए पत्रकारों से बात कर रहे थे।


दुनिया के सबसे बड़े बैंकों को 2007 से संपत्ति और ऋण में करीब 232 अरब डॉलर का घाटा हुआ है और क्रेडिट व इक्विटी बाजार की खस्ता हालत पर काबू पाने के लिए उसे फेडरल रिजर्व  को 40 साल के इतिहास में सबसे बड़ी बैंक दर कटौती करनी पड़ी है।


सोरोस कहते हैं कि नीति निर्धारकों ने परिसंपत्तियों के तेजी से फूलते गुब्बारे को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं की। हकीकत यह है कि नए नवेले बाजार पूरी तरह गैर नियंत्रित हैं और यही इस बुरी हालत का कारण है। वित्त बाजार और बैंको पर नजर रखने वाले बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट के मुताबिक डेरिवेटिव बाजार की रफ्तार पिछले 9 साल में सबसे तेज है।


साल 2007 की पहली छमाही में यह लगभग 516 खरब डॉलर रहा। क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप के चलते जोखिम वाला पैसा पिछले साल के मुकाबले 145 फीसदी बढ़कर 721 अरब डॉलर हो गया। सोरोस मानते हैं कि ऋण डूबने के अनुमान सही हैं लेकिन हम अभी तक मंदी की मुकम्मल तस्वीर साफ तौर पर देख नहीं पा रहे हैं।


हैरान परेशान है बाजार


सोरोस कहते हैं कि बाजार इस बात से परेशान है कि निवेशक और ट्रेडर अनुबंधों की शर्ते पूरी कर पाएंगे या नहीं। इसके चलते अविश्वास की स्थिति फैल गई है और इसे तब तक दूर नहीं किया जा सकता जब तक बाजार को दिशा देने के लिए कोई नियमित तरीका नहीं निकाला जाता।


मॉर्गन स्टैनली के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जॉन मैक का कहना है कि बाजार 40 साल में पहली बार सबसे बुरे हालात से गुजर रहा है लेकिन यह क्रेडिट संकट कुछ और समय चलेगा।


उधर सोरोस कहते हैं कि अमेरिकी प्रशासन पर अविश्वास जताते हुए कहते हैं कि भले ही उनका दावा है कि अगले साल की दूसरी छमाही में स्थिति सुधरेगी लेकिन इसमें काफी समय लगेगा क्योंकि अभी तो मंदी का पूरा असर हुआ ही नहीं है।


आईएमएफ की रिपोर्ट कहती है कि  बैंक, हेज फंड, पेंशन फंड, इंश्योरेंस कंपनियों और सॉवरेन वेल्थ फंड को होने वाला नुकसान 945 अरब डॉलर का आंकड़ा छू सकता है।

First Published : April 10, 2008 | 10:21 PM IST