भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को दिशानिर्देश दिया है कि 310 लाख से भी ज्यादा छोटे एवं लघु उद्यमों की फंडिंग को आसान बनाने के लिए और लो डिफॉल्ट रेट के लिए उन्हें स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए।
रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर उषा थोराट ने कहा कि कई बैंक छोटे एवं लघु उद्यमों को कर्ज देने के मुद्दे पर कोलैटरल सिक्योरिटी के मौजूदा प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे हैं। यद्यपि प्रावधानों के अनुसार पांच लाख तक के लोन के कोलैटरल को रोकते हैं क्योंकि बैंक अपनी पूंजी की ज्यादा से ज्यादा सिक्योरिटी चाहते हैं।
हालांकि उषा थारोट ने इस मामले पर आरबीआई के पक्ष का उल्लेख नहीं किया। बीते समय में बैंकों ने एसएमई को लोन प्रदान करने में उदारता दिखाई है। लेकिन अर्थव्यवस्था में इनकी हिस्सेदारी में कोई इजाफा नही हुआ है। इसलिए बैकों को स्वयंसेवी संस्थाओं का इस्तेमाल करना चाहिए।