बैंको द्वारा लघु उद्योगों को दिए जा रहे कर्ज में काफी इजाफा हुआ है लेकिन आनेवाले कुछ महीनों में बैंकों केबैलेंस शीट पर दबाव ज्यादा बढ़ने के कारण इसमें कुछ गिरावट आने के आसार हैं।
मालूम हो कि साल-दर-साल के हिसाब से मौजूदा वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में लघु उद्योगों (एसएसआई) को मिलने वाले कर्ज में 52 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस साल 23 मई को कुल आउटस्टैंडिंग 1,76,282 करोड रुपये दर्ज किया गया जबकि मई के अंत में इसकी अनुमानित विकास दर 29.5 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
देश के सबसे बडे क़र्जदाता भारतीय स्टेट बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में लघु उद्योगों को दिए जा रहे कर्ज में 29 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है। आईसीआईसीआई बैंक केएक वरिष्ठ कार्यकारी ने बताया कि निजी क्षेत्रों की बैंकों ने पिछले साल की अपेक्षा लघु और मध्यम उद्योगों ( एसएमई) को दिए जाने कर्ज में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है।
ठीक इसी तरह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया एसएमई को दिए जानेवाले कर्ज में 35 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है। वास्तव में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एसएमई को अपेक्षाकृत ज्यादा कर्ज उपलब्ध कराए जिससे इस साल जून की तिमाही में यह आंकडा 41 प्रतिशत की बढोतरी के साथ पिछले साल के 8,962 करोड रुपये केमुकाबले 12,630 करोड रुपये पहुंच गया।
मुंबई स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी एसएमई को दिए जानेवाले कर्ज में इस साल जून के अंत तक 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 13,000 करोड रुपये तक पहुंच गया। हालांकि बहुत सारे बैंकों खासकर विदेशी बैंकों ने के्रडिट की खस्ता हालत को देखते हुए कर्ज देने में कुछ सतर्कता बरती है। यूनियन बैंक के एक कार्यकारी ने कहा है कि डेलीक्वेंसी का स्तर काफी कम है।
दूसरी तरफ एक कार्यकारी ने कहा कि आईआईपी की विकास दर केधीमा पड़ने केकारण परिस्थियों में परिवर्तन आ सकते हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के महाप्रबंधक एस पी अग्रवाल ने कहा कि एसएसआई में आई जबरदस्त तेजी के कारण पिछले कुछ महीनों में मांगों में तेजी आई है लेकिन विकस की दर महंगाई और बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी केकारण आने वाले दिनों में प्रभावित हो सकती है।