सीआरआर कम करके रोकें महंगाई

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 7:16 PM IST

भारत को मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करने के लिए ब्याज दरों को बढाने के बदले बैंक के पास जमा राशियों की सीमा (सीआरआर) को कम करना चाहिए।


भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने एक इंटरव्यू में यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस तरह की मुसीबत की घड़ी में ब्याज दरों के बदले बैंकों की तरलता पर ध्यान देना चाहिए। गोल्डमन ऐंड सैक्स और अन्य अर्थशास्त्रियों ने भी कहा है कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करने के लिए बैंक की ब्याज दरों में वृद्धि कर सकती है।
 
भारत में मुद्रास्फीति की दर 3 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है। भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के बीच महंगाई और मुद्रास्फीति की दर भी आसमान छू रही है।आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड के विश्लेषक प्रसन्ना अनंतसुब्रमण्यम ने कहा कि सरकार इस बढ़ती महंगाई से बौखला गई है और इसे नियंत्रित करने के लिए जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाने की सोच रही है।


जालान ने कहा कि विकास दर चाहे 9 प्रतिशत हो या 7.5 प्रतिशत, इससे राष्ट्रीय नीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस त्रासदी को झेलने के लिए बड़े एशियाई देश पहले दरों को थोडा कम कर रहे हैं और तब अगर मांग बढ़ जाती है तो ब्याज घटाने का कोई तुक ही नही बनता है।


उन्होंने कहा कि तकनीकी तौर पर अगर मांग बनी हुई है तो मुद्रास्फीति की कोई स्थिति ही नहीं बनती है। परिभाषा के मुताबिक अगर आप मुद्रास्फीति से परेशान हैं तो उसी समय मांग में काफी वृद्धि हो जाएगी और तरलता भी बढ ज़ाएगी। इसके अलावा मूल्य में बढोत्तरी हो ही नहीं सकती है।


जालान ने कहा कि ब्याज दरों को बढ़ाना एक विकल्प हो सकता है लेकिन इस समस्या का निदान नहीं हो सकता है। इस तरह की समस्याओं से हम बहुत ज्यादा वाकिफ नहीं हैं इसलिए इस पर काबू पाने के लिए छोटी अवधि की ही नीतियां बनानी होगी। उन्होंने कहा कि हमलोग पूर्व एशियाई देश के संकट के मध्य में हैं और इससे निबटने के लिए अलग तरह के उपायों पर सोचना होगा।

First Published : April 7, 2008 | 10:48 PM IST