अर्थव्यवस्था

कुछ NBFC पर रिजर्व बैंक की कार्रवाई जरूरी थी: कामत

बीएफएसआई इनसाइट समिट में कामत ने चीन, अमेरिका और भारत के वित्तीय क्षेत्र पर चर्चा की

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तमाल बंद्योपाध्याय   
Last Updated- November 08, 2024 | 11:13 PM IST

नैशनल बैंक फॉर फाइनैंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट के चेयरमैन केवी कामत ने बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में कहा कि असुरक्षित ऋणों और एनबीएफसी के खिलाफ रिजर्व बैंक की कार्रवाई जरूरी थी है। इनसाइट समिट में उनके साथ तमाल बंद्योपाध्याय की बातचीत के संपादित अंश:

मीडिया में चीन के नए प्रोत्साहन पैकेज की खूब चर्चा है। क्या आप बता सकते हैं कि चीन और अमेरिका में क्या हो रहा है और भारत पर इसके क्या संभावित असर हो सकते हैं?

मेरा मानना है कि उनकी वृद्धि का दौर वर्ष 2000से 2015 के बीच था। उसके बाद स्वाभाविक रुप से इसमें धीमापन आया। अब वे अपनी वृद्धि को स्थिर करने के प्रयास में हैं। वृद्धि दो अंकों से 5 फीसदी के आसपास आ चुकी है। वे वृद्धि को इससे नीचे आने देने से रोकने की कोशिश में हैं। ताजा प्रोत्साहन इसी का नतीजा है। 18 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था के लिए 5 फीसदी की वृद्धि भी बहुत अधिक है। वह इसी राह पर हैं। वहां लंबे समय तक ब्याज दरें काफी कम रही हैं। जमा दर करीब 2.5 फीसदी और ऋण दर 4.5 फीसदी के करीब रही है। अमेरिका में नया राष्ट्रपति बनने के बाद हमें देखना होगा कि क्या नीतिगत बदलाव आते हैं।

देश के वित्तीय क्षेत्र के बारे में खास और बारीक नजर रखते हैं। बढ़ते ऋण-जमाअनुपात और वित्तीयकरण के साथ क्या हमारा वित्तीय तंत्र ढांचागत बदलाव का साक्षी बन रहा है?

यह बदलाव धीमा है। इसमें कुछ और बातें शामिल हैं। हमारे पास तकनीक है, उस तक गहरी पहुंच है और अवसरों की बेहतर समझ भी है। इसकी वजह से बचत का वित्तीयकरण हो रहा है। यह होना ही था क्योंकि कोई भी बचतकर्ता ब्याज की ऊंची दर या अपनी वित्तीय परिसंपत्ति पर अधिक प्रतिफल चाहता है। पहले उनके पास यह अवसर नहीं था क्योंकि आम लोगों की पहुंच सीमित थी। तकनीक ने इसे सहज बनाया है। एसआईपी ने इसे और आसान बनाया। एमएफ सेंट्रल जैसी चीजों ने व्हाट्सऐप इस्तेमाल करने वाले तमाम लोगों को समय-समय पर अपने निवेश के बारे में जानने की सुविधा दी है।

तकनीक ने बचत के वित्तीयकरण को गति दी है। हमें देखना होगा कि खासतौर पर रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बाजारों में परिचालन को लेकर क्या कहा है कि हमें क्या नहीं करना चाहिए। यही वजह है कि आम लोग वायदा और विकल्प क्षेत्र में आ रहे हैं। सेबी चेयरपर्सन का कहना है कि 90 फीसदी लोग पैसा गंवा रहे हैं। अनुमान के मुताबिक यह राशि करीब 1.5 से 1.7 लाख करोड़ रुपये के बीच है। इस क्षेत्र में पैसे गंवाने वाले असुरक्षित ऋण बाजार से आए थे। रिजर्व बैंक ने असुरक्षित ऋण को लेकर सही चेतावनी दी है।

हाल ही में रिजर्व बैंक ने चुनिंदा एनबीएफसी के खिलाफ कार्रवाई की। आप इस बारे में क्या सोचते हैं?

मैं रिजर्व बैंक के कदम को उचित मानता हूं। मैंने क्रेडिट स्कोर देने वाली एक कंपनी से करीब छह माह पहले पूछा था कि फिनटेक का स्कोर क्या है? उनका स्कोर 550 था जबकि बैंकर इसे 750 या 700 बताएंगे। उसने कहा कि ऐसा इसलिए है कि हर कर्जदार के पांच ऋण हैं और वे नए ऋण तलाश रहे हैं। रिजर्व बैंक ने सही चेतावनी दी है। अच्छी खबर यह है कि बैंक इस समय अच्छी स्थिति में हैं।

क्या आपको लगता है कि हर कारोबार, खासकर बैंकिंग और वित्तीय कारोबार को डेटा संचालित होना चाहिए? परंतु डेटा की निजता को लेकर चिंता भी है। हाल में एक बीमा कंपनी के डेटा लीक होने और बिकने की खबर आई। आप इसे कैसे देखते हैं?

हम इसे साइबर अपराध कहते हैं लेकिन मेरे लिए यह तकनीक आधारित धोखेबाजी है। किसी बैंक के साथ यह तब होता है जब वह यह समझने में नाकाम रहता है कि धोखाधड़ी करने वाले तकनीक के सहारे क्या-क्या कर सकते हैं। बचने के लिए उनसे आगे की सोच रखनी होगी। यह सिलसिला क्रेडिट कार्ड के समय से चला आ रहा है। आज डेटा पर वितरकों का नियंत्रण है, कारोबार कर रहे संस्थानों का नहीं। इसमें सुधार करना होगा।

First Published : November 8, 2024 | 11:13 PM IST