Port workers strike: सरकार के साथ बातचीत के बाद वेतन संशोधन और भत्तों पर उनकी चिंताओं को दूर करने के बाद बंदरगाह और डॉक वर्कर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियनों ने मंगलवार को अपनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल स्थगित कर दी। हड़ताल के टल जाने से देश की शिपिंग गतिविधियों में आने वाली अड़चन भी टल गई।
एक संयुक्त बयान में कहा गया, “28 अगस्त से बंदरगाह और डॉक वर्कर्स के छह यूनियनों द्वारा बुलाई गई राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल IPA के अध्यक्ष, IPA के एमडी और छह संघों के प्रतिनिधियों के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) के परिणामस्वरूप स्थगित कर दी गई है।”
बिजनेस स्टैंडर्ड ने दोनों पक्षों के बीच साइन किए गए इस संयुक्त बयान की कॉपी देखी है।
बयान पर ऑल इंडिया पोर्ट एंड डॉक वर्कर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया पोर्ट एंड डॉक वर्कर्स फेडरेशन (वर्कर्स), वॉटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन नेशनल पोर्ट एंड डॉक वर्कर्स फेडरेशन, पोर्ट डॉक और वॉटरफ्रंट वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और भारतीय पोर्ट और डॉक मजदूर महासंघ के यूनियन नेताओं ने हस्ताक्षर किए।
देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों के श्रमिक संघों, केंद्रीय बंदरगाह जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और भारतीय बंदरगाह संघ (IPA) के बीच वेतन संशोधन और पेंशन लाभ पर एक महत्वपूर्ण बैठक में सहमति बनी, जिससे संभावित रूप से एक हड़ताल टल गई जो भारत की शिपिंग को बाधित कर सकती थी।
इस मामले से परिचित सूत्रों ने कहा, “द्विपक्षीय वेतन वार्ता समिति की बैठक में यूनियन नेताओं और भारतीय बंदरगाह संघ के बीच चर्चा हुई। चर्चा में दोनों पक्षों के बीच 31 दिसंबर 2021 को मूल वेतन की कुल राशि पर 8.5 प्रतिशत का फिटमेंट लाभ, और साथ ही 1 जनवरी 2022 को वीडीए का 30 प्रतिशत दिए जाने पर सहमति बनी।”
बाद में प्रमुख बंदरगाह श्रमिक संघों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के आधिकारिक बयान से इसकी पुष्टि की गई।
बयान में कहा गया, “यह निर्णय लिया गया है कि 1 जनवरी 2022 से प्रभावी वेतनमान मौजूदा प्रथा के अनुसार तैयार किया जाएगा।” इस समझौता की अवधि जनवरी 2022 से दिसंबर 2026 तक होगी।
इस खबर के प्रकाशित होने तक बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय से टिप्पणी के लिए इस अखबार के अनुरोध का कोई जवाब नहीं आया।
कहा जाता है कि सोनोवाल ने फिटमेंट लाभ को 8.5 प्रतिशत पर निपटान सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप किया था। अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को निर्धारित वेतन समिति द्वारा एक मसौदा समिति का गठन किया जाएगा, जो 10 दिनों के भीतर समझौता तैयार करेगी।
समिति में छह महासंघों में से प्रत्येक से एक प्रतिनिधि और प्रबंधन के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रबंधन ने विरोध करने वाले महासंघों को आश्वासन दिया कि बीडब्ल्यूएनसी (BWNC) की कार्यवाही 15 दिनों के भीतर समझौते के साथ समाप्त हो जाएगी।
वेतन वार्ता समिति की कई बार बैठकें हुई थीं, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई थी और कर्मचारियों की मांगें अधूरी रह गई थीं।
कंटेनरों के जमा होने और कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका के कारण हड़ताल का आह्वान व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों के लिए चिंता का कारण बन गया था। बताया जाता है कि हड़ताल से प्रतिदिन 125 करोड़ रुपये का नुकसान होता।