वैश्विक एवं घरेलू रेटिंग एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान कम कर दिए हंै। जून तिमाही में चालू वित्त वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अनुमान से कहीं अधिक गिरावट आने के बाद रेटिंग एजेंसियों ने अपने अनुमान में संशोधन किए हैं। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था की सेहत बताने वाले आर्थिक सूचकांकों में सुधार की रफ्तार भी सुस्त लग रही है।
न्यूयॉर्क की रेटिंग एजेंसी फिच ने देश के जीडीपी में वित्त वर्ष 2021 में 10.5 प्रतिशत तक गिरावट आने का अंदेशा जताया है। इससे पहले इस एजेंसी ने अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया था। फिच की ही सहायक इकाई इंडिया रेटिंग्स ने देश की वास्तविक जीडीपी में 11.8 प्रतिशत तक कमी आने की बात कही है। इसी तरह, निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स ने चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 14.8 की भारती गिरावट आने की आशंका जाहिर की है, जबकि इसने पहले 11.8 प्रतिशत कमी आने का अंदेशा जताया था। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई।
विश्लेषकों ने भी जीडीपी में 18 से 20 प्रतिशत से अधिक गिरावट आने की बात नहीं की थी। फिच ने कहा,’आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट से लोगों और कंपनियों की आय में खासी गिरावट आई है। सरकार के पास भी अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं बचे हैं।’ जीडीपी में गिरावट के अनुमान पर देसी और वैश्विक कंपनियों दोनों की राय एक है, लेकिन आर्थिक सुधार की रफ्तार को लेकर उनमें मतभेद है। फिच को लगता है कि वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था मजबूती से वापसी करेगी, लेकिन इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की सभी चार तिमाहियों में गिरावट दिख सकती है। हालांकि फिच यह बात जरूर कह रही है कि आर्थिक सुधार धीमी एवं एक समान नहीं रही है।
इंडिया रेटिंग्स का मानना है कि वित्त वर्ष 2022 में अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी और आगामी वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी की वृद्धि दर 9.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। हालांकि यह तेजी मोटे तौर पर आधार प्रभाव के कारण ही रहेगी। गोल्डमैन सैक्स ने जीडीपी में तेज उछाल की बात कही है और वित्त वर्ष 2022 में वास्तविक जीडीपी में 15.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। इस रेटिंग एजेंसी ने कहा,’मार्च 2022 में वास्तविक उत्पादन मार्च 2020 के स्तर से करीब 2 प्रतिशत रहेगा।’ फिच के अनुसार 2020 में वैश्विक जीडीपी में 4.4 प्रतिशत गिरावट आ सकती है। इससे पहले रेटिंग एजेंसी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4.6 प्रतिशत गिरावट की बात कही थी।