देश में कर संग्रह की समीक्षा के दौरान केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सोमवार को मुंबई, पश्चिम बंगाल और पुणे सहित कुछ क्षेत्रों से राजस्व वसूली अधिकतम करने के लिए कदम उठाने को कहा है। मामले से जुड़े दो लोगों ने कहा कि इनमें से कुछ क्षेत्रों का प्रदर्शन शुद्ध कर वृद्धि दर की उम्मीद से कम रहा है।
कुल प्रत्यक्ष कर वृद्धि में मुंबई की हिस्सेदारी 37 प्रतिशत रही है, जहां कर संग्रह 4.93 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि पूरे साल का लक्ष्य 5.35 लाख करोड़ रुपये है। यह मुख्य रूप से विदेशी लेन-देन में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) संग्रह कम रहने की वजह से हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ पुणे क्षेत्र से कर संग्रह 91,506 करोड़ रुपये रहा है, जबकि लक्ष्य 1.03 लाख करोड़ रुपये था। मामले से जुड़े व्यक्ति ने कहा कि इस क्षेत्र से अग्रिम कर संग्रह अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है।
एक व्यक्ति ने कहा, ‘फार्मा की एक कंपनी सहित पुणे की कुछ शीर्ष फर्मों ने साल के दौरान उम्मीद से कम अग्रिम कर का भुगतान किया, जिसकी वजह से खजाने में इस इलाके से कम धनराशि आई है।’
सीबीडीटी की बैठक में कहा गया है कि बेंगलूरु और दिल्ली क्षेत्र ने उम्मीद से अधिक वृद्धि दर्ज की है। उदाहरण के लिए दिल्ली से कर संग्रह 2.08 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो इसके लक्ष्य का 104 प्रतिशत है। यह कवायद ऐसे समय में हुई है, जब कर संग्रह संशोधित लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ रुपये का 95.2 प्रतिशत और 14.2 लाख करोड़ रुपये बजट अनुमान से 10 प्रतिशत ज्यादा है।
हाल के आंकड़ों के मुताबिक विभाग ने कुल 15.72 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह किया है।
चालू वित्त वर्ष (2022-23) में प्रत्यक्ष कर से राजस्व संग्रह (जिसमें आयकर और कॉर्पोरेट कर शामिल होता है) 17 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 16.50 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2021-22 में 14.20 लाख करोड़ रुपये था।
वहीं एक और घटनाक्रम में अप्रत्यक्ष कर संग्रह के मामलों को देखने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने अपने जोनल प्रमुखों से कहा है कि वे राजस्व बढ़ाएं और सीमा शुल्क मंजूरी में तेजी लाएं। सीमा शुल्क के संग्रह में बढ़ोतरी कम रही है, जिसकी वजह से 31 मार्च तक कर संग्रह का लक्ष्य पहले के 2.13 लाख करोड़ रुपये अनुमान से घटाकर 2.10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। संकेत मिल रहे हैं कि सीमा शुल्क का संग्रह वित्त वर्ष 23 के संशोधित अनुमान से भी कम रह सकता है। अगले वित्त वर्ष के दौरान जीएसटी संग्रह 12 प्रतिशत बढ़कर 9.56 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।