बांध पुनरुद्घार परियोजना को मिली मंजूरी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 10:03 PM IST

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज 10,211 करोड़ रुपये की बांध पुनरुद्घार और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) के दूसरे और तीसरे चरण को मंजूरी दे दी। इस परियोजना के लिए विश्व बैंक और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक ने वित्तीय सहायता दी है। परियोजना का उद्देश्य देश भर के चुनिंदा बांधों की सुरक्षा और परिचालन क्षमता में सुधार करना है।
जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने संवाददाताओं से कहा कि बांधों की संख्या के लिहाज से भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। इस मामले में अमेरिका और चीन के बाद भारत का स्थान है। हमारे यहां कुल 5,334 बड़े बांध हैं और 412 बांध निर्माणाधीन हैं। मंत्री ने कहा, ‘इनमें से करीब 80 फीसदी बांध 25 साल से भी अधिक पुराने हैं। इन ढांचों का पुनरुद्घार करने और सुधार करने की आवश्यकता है।’  
डीआरआईपी को दो चरणों में 10 वर्ष में लागू किया जाएगा। प्रत्येक चरण छह वर्ष का होगा जिसमें दो वर्ष साझा होगा। कार्यक्रम अप्रैल 2021 से शुरू होकर मार्च 2031 में समाप्त होगा। इस परियोजना के पहले चरण की शुरुआत 2012 में की गई थी।
शेखावत ने कहा कि विगत छह वर्ष में देश में 207 बांधों का पुनरुद्घार किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि बांधों का स्वामित्व राज्यों के पास है और उन्हें इस परियोजना के साथ जोड़े जाने वाले अपने बांधों का नाम बताने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा, ‘यह परियोजना चुनौती के साथ आई है…जो राज्य इस दिशा में जितनी जल्दी प्रगति करेगा उसे उतना ही अधिक फंड मिलेगा।’
परियोजना की पूरी लागत में बाहरी फंडिंग की हिस्सेदारी 7,000 करोड़ रुपये है। शेष 3,211 करोड़ रुपये का वहन संबंधित क्रियान्वयन एजेंसियां करेंगी। सरकार 1,024 करोड़ रुपये ऋण देनदारी के तौर पर देगी और 285 करोड़ रुपये का योगदान ‘केंद्रीय घटक के लिए संगत भाग कोष के तौर पर’ करेगी।    
परियोजना का मुख्य उद्देश्य मौजूदा चुनिंदा बांधों और संबंधित साज सामानों का टिकाऊ ढंग से सुरक्षा और प्रदर्शन में सुधार लाना है। साथ ही इसमें भागीदारी करने वाले राज्यों के साथ साथ केंद्रीय स्तर पर बांध सुरक्षा संस्थागत व्यवस्था को दुरुस्त करना है। परियोजना के तहत बांधों के सतत परिचालन और मरमत के लिए चुनिंदा बांधों में से कुछ पर संलग्न राजस्व के सृजन के लिए वैकल्पिक संलग्न साधानों का पता लगाया जाएगा।

First Published : October 30, 2020 | 12:21 AM IST