कम किराये में हवाई सफर करने का खुमार अब उतरने वाला है। दरअसल जनवरी में किराये कम कर मध्य वर्ग को खुशी का अहसास देने वाली बड़ी विमानन कंपनियां एक बार फिर पुराने रनवे पर चली गई हैं।
किंगफिशर, एयर इंडिया, स्पाइस जेट और इंडिगो जैसी तमाम एयरलाइंस ने अपने औसत किरायों में आज से 50 से 100 फीसदी तक का इजाफा कर दिया है। विमानन कंपनियों ने ईंधन अधिभार में तो कोई तब्दीली नहीं की है, लेकिन 1 रुपये से 100 रुपये तक का बेसिक किराया खत्म कर दिया है।
मिसाल के तौर पर किसी कम किराये वाली एयरलाइन से दिल्ली से मुंबई जाने में किसी भी मुसाफिर को कम से कम 5,075 रुपये खर्च करने होंगे। पिछले महीने इसी मार्ग पर किराया केवल 3,200 रुपये था। कुछ योजनाओं के तहत तो यह किराया 1,600 रुपये ही रह गया था।
दरअसल किराये एक बार फिर पिछले साल अगस्त-सितंबर के स्तर पर पहुंच गए हैं, जब विमानन ईंधन (एटीएफ) की कीमत आज के मुकाबले दोगुनी थी। एयरलाइन की लागत में एटीएफ की 45 से 55 फीसदी हिस्सेदारी होती है।
दिलचस्प है कि विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि एयरलाइंस को एटीएफ सस्ता होने का फायदा आम मुसाफिरों को देना चाहिए और एयर इंडिया सबसे पहले ऐसा करेगी। लेकिन एयरलाइंस ने उनके बयान के उलट ही कारनामा दिखाया है।
हालांकि बाजार के जानकार इस बात से हैरान हैं कि सभी एयरलाइंस ने एक ही समय पर किरायों में एक जैसा इजाफा किया है। उनके मुताबिक यह लामबंदी का नतीजा भी हो सकता है, जिससे एयरलाइंस सीधे तौर पर इनकार करती हैं।
लेकिन एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार आयोग (एमआरटीपीसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने नए किरायों पर अभी नजर नहीं डाली है। लेकिन अगर हमें यकीन हो जाता है कि यह लामबंदी का नतीजा है, तो खुद ही उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार भी हमारे पास है।’
विमानन कंपनियों का कहना है कि किराया घटाने पर भी पर्याप्त संख्या में मुसाफिर नहीं आए, इसलिए किराया बढ़ गया। किंगफिशर ने कहा, ‘हम उन उड़ानों पर कम किरायों की योजना बंद कर रहे हैं, जिनमें अच्छी कमाई हो सकती है। हमारा जोर कमाई पर है, मुसाफिरों पर नहीं।’
स्पाइसजेट के मुख्य कार्य अधिकारी संजय अग्रवाल भी यही दोहराते हैं। उन्होंने कहा कि जनवरी के मुकाबले पिछले साल दिसंबर में ज्यादा कमाई हुई थी, इसलिए कम किरायों की कोई गुंजाइश नहीं बची।
एयरलाइंस ने बढ़ा दिए किराये
औसत किरायों में 50 से 100 फीसदी इजाफा
फिर आ गए अगस्त-सितंबर 2008 के किराये
एयरलाइंस ने दिया कमाई घटने का बहाना