Infra Companies: नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की नई रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में देश की टॉप 14 इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों की कुल कमाई 4% घट गई है। यह गिरावट इसलिए हुई क्योंकि कंपनियों के पास ऑर्डर कम थे और उन्हें समय पर पेमेंट भी नहीं मिल पा रहा था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कंपनियों का मुनाफा, यानी EBITDA और PAT मार्जिन, पहले से कम हो गया है। इसका मतलब यह है कि कंपनियों पर खर्चे बढ़ गए हैं और उन्हें कैश यानी नकदी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि ज्यादातर EPC कंपनियों को अपने FY26 के लिए पहले तय किए गए रेवेन्यू और मुनाफे के अनुमान कम करने पड़े हैं। अब ये कंपनियां मान रही हैं कि इस साल कमाई में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होगी, यानी ग्रोथ बहुत कम या लगभग बराबर रहेगी। रोड EPC कंपनियों की हालत सबसे ज्यादा कमजोर दिखी है, क्योंकि उनकी कमाई पिछले साल के मुकाबले 9% गिर गई। इसके उलट, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन से जुड़ी कंपनियों और NBCC ने बेहतर प्रदर्शन किया, जिससे पूरे सेक्टर की गिरावट कुछ कम दिखाई दी। फिर भी, मुनाफे के मार्जिन में 70 से 130 बेसिस पॉइंट की गिरावट यह बताती है कि कंपनियों पर रोजमर्रा के खर्च और कामकाज का दबाव काफी बढ़ गया है।
वैगन बनाने वाली कंपनियों के लिए Q2FY26 उम्मीद से बेहतर साबित हुआ। अगस्त–सितंबर 2025 में व्हीलसेट मिलने शुरू हो गए, जिससे काम फिर से तेजी से चलने लगा। इसके बाद कंपनियों की तिमाही-दर-तिमाही कमाई में 39% की बड़ी बढ़ोतरी देखी गई। इससे उनकी प्रोडक्शन क्षमता बढ़ी और सप्लाई चेन भी सामान्य होती दिखाई दी।
हालांकि पिछले साल की तुलना में उनकी कमाई अभी भी 17% कम है, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही बढ़ोतरी दिखाती है कि आने वाले समय में स्थिति और सुधर सकती है। EBITDA और PAT मार्जिन में थोड़ी गिरावट जरूर रही, लेकिन तिमाही स्तर पर सुधार ने पूरे वैगन उद्योग का माहौल थोड़ा बेहतर बना दिया है।
अशोका बिल्डकॉन द्वारा किए गए एसेट मोनेटाइजेशन ने सेक्टर के कुल कर्ज बोझ को थोड़ा कम करने में मदद की। NBCC को छोड़कर बाकी कंपनियों का नेट डेट-टू-इक्विटी अनुपात Q2FY26 के अंत में घटकर 0.13x रह गया, जिससे उनकी बैलेंस शीट को कुछ राहत मिली।
लेकिन इसके बिल्कुल उलट, कंपनियों की वर्किंग कैपिटल स्थिति काफी कमजोर हो गई है। टॉप-8 कंपनियों का वर्किंग कैपिटल 152 दिनों से बढ़कर 194 दिनों पर पहुंच गया, जिसका मतलब है कि पेमेंट मिलने में देरी और बिलों के फंसे रहने से कंपनियों के पास तुरंत काम चलाने के लिए जरूरी नकदी कम पड़ रही है। यह हालत आने वाले महीनों में EPC सेक्टर की ग्रोथ के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
H1FY25 में नए ऑर्डर कम मिले थे, लेकिन H2FY25 से कंपनियों को फिर से तेजी से काम मिलने लगा और यह तेजी H1FY26 में भी जारी रही। Q2FY26 में टॉप-13 कंपनियों (NBCC को छोड़कर) को मिले नए ऑर्डर पिछले साल की तुलना में 22% ज्यादा रहे। इससे सेक्टर का बुक-टू-बिल रेशियो बढ़कर 3.3x तक पहुंच गया, जिसका मतलब है कि कंपनियों के पास आगे के महीनों के लिए काम की अच्छी मात्रा मौजूद है।
रोड बनाने वाली कंपनियों को अलग-अलग तरह की परियोजनाओं में काम मिलने से फायदा हुआ और उन्हें अच्छे ऑर्डर मिले। वहीं वैगन बनाने वाली कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि FY26 के अंत या FY27 की पहली तिमाही में रेलवे की तरफ से नया वैगन टेंडर आएगा। अगर यह टेंडर समय पर आता है, तो वैगन उद्योग की गति और तेज हो सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक FY26 के बजट में सड़कों और रेलवे के लिए खर्च (कैपेक्स) नहीं बढ़ाया गया है। इसका मतलब है कि इन क्षेत्रों में नई परियोजनाएं पहले जितनी तेजी से नहीं आ पाएंगी, जिससे EPC कंपनियों पर दबाव बढ़ सकता है और उनका काम थोड़ा धीमा पड़ सकता है।
इसके बावजूद, नुवामा ने अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स को अपनी सबसे पसंदीदा कंपनी बताया है। इसकी वजह है कि कंपनी के पास अच्छे ऑर्डर मौजूद हैं, इसका प्रशासन मजबूत है और यह अलग-अलग तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम करती है। इसलिए पूरे सेक्टर में हालत चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद यह कंपनी बाकी प्लेयर्स से बेहतर स्थिति में दिखाई देती है।