डिस्प्ले फैब संयंत्र स्थापित करेगा वेदांत समूह

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 6:01 AM IST

वेदांत समूह भारत में एक डिस्प्ले फैब्रिकेशन संयंत्र स्थापित करने के लिए सरकार से बातचीत कर रही है। इस मामले से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी। अरबपति प्रवासी भारतीय अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली कंपनी के लिए इस क्षेत्र में दस्तक देने का यह दूसरा प्रयास है। करीब पांच साल पहले कंपनी ऐसी ही एक असफल कोशिश की थी जब उसने महाराष्ट्र में पांच चरणों में 10 अरब डॉलर के निवेश से एक विशाल संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई थी। प्रौद्योगिकी के लिए वेदांत ने एलजी के साथ करार किया था।
यदि सरकार के साथ बातचीत सफल रही तो देश में पहला डिस्प्ले फैब्रिकेशन संयंत्र होगा और इससे भारत को वैश्विक मानचित्र पर एक खास जगह मिलेगी जहां फिलहाल कुछ चुनिंदा देश ही मौजूद हैं।
डिस्प्ले फैब्रिकेशन संयंत्र में एक जटिल प्रक्रिया के जरिये स्क्रीन का विनिर्माण किया जाता है जिसमें शीशे के टुकड़ों के साथ ट्रांजिस्टर सेल, मिश्र धातु और सिलिकॉन का उपयोग होता है। इस प्रकार के संयंत्र के लिए न्यूनतम 2 से 3 अरब डॉलर के शुरुआती निवेश की आवश्यकता होती है। इस संयंत्र में शीशे को अन्य पुर्जों के साथ असेंबल किया जाता है ताकि स्क्रीन को बिजली दी जा सके। इस प्रकार के अधिकतर संयंत्रों में एक असेंबलिंग इकाई भी होती है।
सूत्रों का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय वेदांत के अलावा अन्य संभावित कंपनियों के साथ काफी सक्रियता से इस मुद्दे पर बातचीत कर रहा है। मंत्रालय ने इस संयंत्र की स्थापना के लिए अप्रैल तक वैश्विक एवं भारतीय कंपनियों से अभिरुचि पत्र आमंत्रित किया है। वेदांत के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया।
अभिरुचि पत्र के तहत टीवी, पर्सनल कंप्यूटर और मोबाइल उपकरणों के लिए लिक्विड-क्रिस्टल डिस्प्ले (एलसीडी), ऑर्गेनिक लाइट-एमिटिंग डायोड (ओएलईडी), ऐक्टिव-मैट्रिक्स ऑर्गेनिक लाइट-एमिटिंग डायोड और क्वांटम डॉट एलईडी आधारित डिस्प्ले बनाने वाली संभावित कंपनियों की तलाश की जा रही है। इस प्रकार के बड़े निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए अंतिम नीति तैयार करने के साथ ही सरकार इस मामले में कोई अंतिम निर्णय लेगी।
सरकार ने डिस्प्ले एवं सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन इकाइयों, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, वियरेबल उत्पाद और सेमीकंडक्टर फैबलेस स्टार्टअप कंपनियों के लिए  करीब 5 अरब डॉलर का राजकोषीय प्रोत्साहन निर्धारित किया है।
सूत्रों का कहना है कि सैमसंग भी 70.5 करोड़ डॉलर के निवेश से मोबाइल उपकरणों के लिए एक डिस्प्ले संयंत्र स्थापित कर रही है। यह भारत में अपने प्रकार का पहला संयंत्र होगा। फिर भी उसने एक बड़ी डिस्प्ले फैब्रिकेशन इकाई लगाने के लिए सरकार से संपर्क किया है। सैमसंग इंडिया के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह प्रौद्योगिकी चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान और जापान की कुछ कंपनियों के पास है। एलसीडी बाजार में 70 फीसदी से अधिक बाजार हिस्सेदारी के साथ चीन का वर्चस्व है और चीन की कंपनियों ने 50 से 70 अरब डॉलर का निवेश किया है।
प्रीमियम ओएलईडी बाजार में सैमसंग और एलजी का वर्चस्व है लेकिन चीन की कंपनियों ने भी इसमें उल्लेखनीय निवेश किया है। इस क्षेत्र की अन्य प्रमुख कंपनियों में चीन की बीओई डिस्प्ले एवं टीसीएल, ताइवान की इनोलक्स कॉरपोरेशन, जापान की तोशिबा एवं शार्प आदि शामिल हैं।
भारत में डिस्प्ले का बाजार करीब 7 अरब डॉलर का होने का अनुमान है और इसे 2025 तक दोगुना होने की उम्मीद है।

First Published : April 12, 2021 | 11:22 PM IST